ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आया नया मोड़, हिंदू पक्ष के 5 माहिला वादी में से एक अपना मामला वापस लेंगी
18 अगस्त 2021 को वाराणसी की पांच महिलाएं राखी सिंह, सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक ने श्रंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा-अर्चना और दर्शन की मांग को लेकर पहुंची थीं कोर्ट
वाराणसी। वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे को लेकर नौ मई को कोर्ट में सुनवाई की जानी है। लेकिन इस बीच हिन्दू पक्ष की महिला वादियों में फूट की खबरें सामने आने लगी है। पांच महिलावादियों में से एक वादी राखी सिंह नौ मई को अपना केस वापस लेने की बात कही है। उन्होंने खुद इसकी घोषणा की हैं। राखी सिंह के केस वापस लेने के फैसले के पीछे की वजह साफ नहीं हो पाई है। बताते चले कि काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी सहित अन्य देवी-देवताओं की पूजा और मूर्तियों की सुरक्षा की मांग को लेकर पांच महिलाएं कोर्ट पहुंची थी।
जानकारी के मुताबिक हिन्दू पक्ष की तरफ से पांच वादियों में से एक राखी सिंह नौ मई को अपना केस वापस ले सकती हैं। हालांकि बाकी की चार महिला वादी अपने रुख पर कायम हैं और वो आगे केस चलाएंगी। इस नए घटना क्रम के बाद से हिन्दू पक्ष के वकील और अन्य पदाधिकारियों ने बैठक करके आगे की रणनीति तय करने की बात कही है। उधर इस मामले को लेकर जिला प्रशासन में भी हड़कंप मच गया है। वहीं याचिका वापस लेने से जुड़े इस फैसले पर संघ में भी विवाद बढ़ता दिख रहा है। विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख नहीं थे मौजूद
बताया जा रहा है कि ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान वादी की ओर से विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रधान जितेंद्र सिंह बिसेन मौजूद नहीं थे। इसके बाद ही बंटवारे का डर बढ़ गया था। गौरतलब है कि इस मामले की अगुवाई करने वाले संगठन विश्व वैदिक सनातन संघ ने शनिवार को कानूनी सलाहकार समिति को भंग कर दिया था, जिसके लेटर हेड पर जानकारी साझा की गईं थी।
महिलाओं ने कोर्ट से की थी यह मांग
दरअसल, 18, अगस्त 2021, को वाराणसी की पांच महिलाओं राखी सिंह, सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक ने श्रंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा-अर्चना और दर्शन की मांग को लेकर कोर्ट पहुंची थीं। महिला वादियों ने कोर्ट को बताया था कि श्रंगार गौरी मंदिर में पहले की परंपरा के अनुसार साल में सिर्फ दो बार ही पूजा की जाती थी। लेकिन इन महिलाओं की मांग है कि अब परिसर में मौजूद अन्य देवी-देवताओं की दैनिक पूजा में बाधा न आए। अदालत में इस अपील पर सिविल जज ने परिसर में सर्वे और वीडियोग्राफी कराने का आदेश दिया है और 10 मई को इस पर रिपोर्ट मांगी है। हालांकि इससे पहले लगातार तीन दिन तक जो सर्वे होना था, वह मुस्लिम पक्ष के विरोध के चलते सिर्फ दो दिन के लिए ही किया गया था। अब इस मामले में नौ मई को सुनवाई होनी है।