लखनऊ। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में मतदान के लिए भारत के “सक्रिय” समर्थन की मांग करते हुए, श्रीलंका के विदेश मंत्रालय के सचिव ने कहा, “भारत हमें नहीं छोड़ सकता।”
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने परिषद को दिए एक हालिया संबोधन में, वसुधैव कुटुम्बकम का जिक्र करते हुए, एडमिरल जयनाथ कोलंबस (retd) ने कहा, “जैसा कि आपके विदेश मंत्री ने कहा है, अगर दुनिया एक परिवार है, तो हम आपके निकटतम परिवार हैं।” नौसेना कमांडर रहे विदेश सचिव ने मीडिया से बातचीत में जेनेवा में जारी सत्र, भारत-श्रीलंका रिश्ते, विदेश नीति और आंतरिक मुद्दों की रणनीति पर भी श्रीलंका की बात रखी।
जयनाथ कोलंबेज ने कहा कि भारत अगर पड़ोसी देश को जेनेवा में समर्थन नहीं देता तो श्रीलंका “बहुत असहज” हो जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि मौजूदा परिषद के सदस्यों में शामिल भारत, पाकिस्तान, नेपाल और भूटान श्रीलंका का समर्थन करेंगे, क्योंकि इन देशों में कई समानताएं हैं, “ये कोविड-19 से लड़ रहे हैं और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप झेल रहे हैं।” उन्होंने कहा, “समर्थन की अपील करते हुए हमारे राष्ट्रपति (गोटाभाया राजपक्षे) ने पहली चिट्ठी भारतीय प्रधानमंत्री को लिखी और उन्होंने पहली मुलाक़ात भारतीय उच्चायुक्त से की क्योंकि हम दक्षिण एशियाई एकजुटता को लेकर बहुत सचेत हैं।”
साथ ही उन्होंने कहा, “श्रीलंका को हमारे अच्छे पड़ोसियों से समर्थन की बहुत जरूरत है और हम इस क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास के आधार पर, आपकी नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के आधार पर कुछ भी असामान्य नहीं मांग रहे हैं। उन्होंने यह अपील ऐसे समय में की है, जब भारत-श्रीलंका द्विपक्षीय संबंध बिगड़ते नजर आ रहे हैं। यह भारत और चीन से संबंधित विकास योजनाओं के बारे में श्रीलंका के कई फैसलों के बाद दिखाया गया है।