श्री गुरु हरिगोबिन्द साहिब का मनाया गया गुरू गद्दी दिवस
नाका हिन्डोला स्थित श्री गुरू सिंह सभा, ऐतिहासिक गुरुद्वारा में विशेष दीवान सजा व शबद- कीर्तन हुआ
क्राइम रिव्यू
लखनऊ। बन्दी छोड़ दाता, मीरी पीरी के मालिक सिक्ख धर्म के छठवें गुरु श्री गुरु हरिगोबिन्द साहिब जी का गुरू गद्दी आज यानि 2 जून को बड़ी श्रद्धा और सत्कार से मनाया गया। नाका हिन्डोला स्थित श्री गुरू सिंह सभा, ऐतिहासिक गुरुद्वारा में विशेष दीवान सजाया गया। इस अवसर पर शबद- कीर्तन हुआ और गुरुजी के पावन जीवन के बारे बताया गया।
मुख्य ग्रंथी ने गुरुजी जीवन पर प्रकाश डाला
मुख्य ग्रन्थी ज्ञानी सुखदेव सिंह जी ने बताया कि बन्दी छोड़ दाता, मीरी पीरी के मालिक साहिब श्री गुरु हरिगोबिन्द साहिब जी का जन्म श्री गुरु अरजन देव जी व माता गंगा जी के घर अमृतसर में हुआ था। श्री गुरु अरजन देव जी की शहीदी के बाद 11 वर्ष की उम्र में धन-धन बाबा बुड्ढा जी ने हरगोबिन्द साहिब को गुरुगद्दी तिलक लगाया। वह 38 वर्ष तक गद्दी पर विराजमान रहे।
गुरुजी की मोदी और पीरी दो तलवारें थीं
उन्होंने दो तलवारें धारण की हुई थी। एक मीरी की और एक पीरी की। मीरी का मतलब बादशाहत, ताकत, शक्ति, भाव जो लोग दुनिया में जुल्म कर रहे है मैं मीरी की तलवार पहन कर उन्हें जुल्म करने से रोकूंगा और पीरी का मतलब जो लोग पीर फकीर धर्मी बनकर पाप कर रहे हैं, मै उनके पाप को प्रकट करुंगा व सच्चे धर्माथियों की रक्षा करुंगा।
अकाल तख्त की सर्जना की
जहाँ श्री गुरु अरजन देव जी ने श्री अमृतसर में हरिमन्दिर साहिब की सर्जना की जो भक्ति का प्रतीक है, वहाँ श्री गुरु हरिगोबिन्द साहिब जी ने ठीक हरिमन्दिर साहिब के सामने अकाल तख्त की सर्जना की जो शक्ति का प्रतीक है। गुरु जी ने दुनिया के भले के लिये पानी की कमी को देखकर जगह-जगह कुएं खुदवाये और ऊँच नीच के भेदभाव को खत्म किया।
बादशाह ने गुरुजी को करा लिया था कैद
गुरु जी की दिन प्रतिदिन बढ़ती ताकत को देखकर जुल्म का शिकार हुए ईर्ष्यालु सहन न कर सके और गुरु जी को ग्वालियर के किले में बन्द कर दिया। किले में बादशाह जहाँगीर के सताये हुए 52 हिन्दू राजा भी कैद थे , जिनका राजपाठ बादशाह ने अपने कब्जे में कर लिया था। कुछ समय बाद जहाँगीर ने गुरु जी को मुक्त करने का आदेश दिया।
इन गुरुजी को बंदी छोड़ दाता भी कहते हैं
गुरु जी ने कहा हम अकेले किले से बाहर नहीं जायेंगे। अगर हमें रिहा करना है तो इन 52 हिन्दू राजाओं को भी रिहा करना होगा। बादशाह को गुरु जी की शर्त माननी पड़ी। इस तरह गुरु जीे उन 52 हिन्दू राजाओं को लेकर किले से बाहर निकले और उनका राजपाठ वापस दिलवाया। तभी से गुरु हरगोबिन्द साहिब को ‘बन्दी छोड़ दाता’ भी कहा जाने लगा।
गुरुगद्दी दिवस पर दी बधाई
लखनऊ गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष सस. राजेन्द्र सिंह बग्गा ने नगरवासियों को साहिब श्री गुरु हरिगोबिन्द साहिब जी महाराज के गुरू गद्दी दिवस की बधाई दी। लाकडाउन में इस दिवस को अपने घरों में रह कर मनाने एवं गुरु जी द्वारा बताए मार्गों पर चलने का आग्रह किया।
गुरु का लंगर बाटा गया
हरमिन्दर सिंह टीटू, सतपाल सिंह मीत एवं हरविन्दर पाल सिंह नीटा ने लाकडाउन के चलते शासन द्वारा दिये गये आदेशों का विशेष ध्यान रखते हुए गुरुद्वारा परिसर के बाहर मिष्ठान एवं गुरु का लंगर जरुरतमंदों में दशमेश सेवा सोसाइटी के सदस्यों के योगदान वितरण करवाया।