अनेक विभूतियों के सम्मान संग काव्य की रसधारा प्रवाहित हुई
उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा व कैबिनेट मंत्री आशुतोष टंडन ने लिया भाग
क्राइम रिव्यू
लखनऊ। पंडित दीनदयाल उपाध्याय साहित्यिक सेवा संस्थान के तत्वावधान में महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव पार्क, शिवनगर खदरा सीतापुर रोड में आयोजित 24वें अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह में अनेक विभूतियों के सम्मान संग काव्य की राजधारा प्रवाहित हुई।
समारोह में पंडित दीनदयाल उपाध्याय साहित्यिक सेवा संस्थान के संस्थापक पं आदित्य द्विवेदी और संयोजक हरीश चंद्र अग्रवाल ने मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा, कैबिनेट मंत्री आशुतोष टंडन, विशिष्ट अतिथि अभिजात मिश्रा राष्ट्रीय महामंत्री भाजपा युवा मोर्चा, नीरज सिंह युवा नेता भाजपा एवं मुकेश शर्मा महानगर अध्यक्ष भाजपा को पुष्प गुच्छ, अंग वस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा कैबिनेट मंत्री आशुतोष टंडन ने प्रतिबिंब फिल्म के बैनर तले अर्चना पांडे द्वारा निर्मित और पंडित आदित्य द्विवेदी द्वारा लिखित एवं अनूप जलोटा, सुरेश वाडकर, टुटेजा हरप्रीत, देव राठौर और शैलेश श्रीवास्तव द्वारा गाये गए उत्तर प्रदेश राज्य गीत का विमोचन किया। इस राज्य गीत में उत्तर प्रदेश की विभिन्न सांस्कृतिक विरासत, मान्यताओं और साहित्यिक सभ्यताओं का सम्मिश्रण समाहित है, जिसका प्रदर्शन भी इस मौके पर किया गया। इसके साथ ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय साहित्यिक सेवा संस्थान के संस्थापक सदस्य स्वर्गीय लालजी टंडन के चित्र पर सभी अभ्यागत अतिथियों ने पुष्पांजलि अर्पित कर उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डालकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
समारोह में उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा, आशुतोष टंडन कैबिनेट मंत्री उत्तर प्रदेश, पंडित आदित्य द्विवेदी और हरीश चंद्र अग्रवाल ने संयुक्त रुप से पुष्प लता अग्रवाल को पंडित दीनदयाल उपाध्याय सामाजिक सेवा सम्मान 2021, डॉ सोनरूपा विशाल को पंडित दीनदयाल उपाध्याय साहित्यिक सेवा सम्मान 2021, डॉ विष्णु सक्सेना को डॉ रमेश रस्तोगी सम्मान 2021 और कमलेश शर्मा को साहित्य भूषण पंडित दूधनाथ शर्मा सम्मान 2021 से सम्मानित किया।
स्माइलमैन सर्वेश अस्थाना के मंच संचालन में आयोजित 24वें अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में विकास बौखल ने सुनाया ‘ किसी खंजर से ना तलवार से जोड़ा जाये, सारी दुनिया को चलो प्यार से जोड़ा जाये, ये किसी शख्स को दोबारा ना मिलने पाए, प्यार के रोग को आधार से जोड़ा जाए’।
डॉ रुचि चतुर्वेदी आगरा की बानगी थी ‘अघोरी ,शम्भू ,त्रिपुरारी,हे परमेश्वर,हे महाकाल। हे काल काल हे नागेश्वर हे सर्वेश्वर, हे सृष्टि भाल, हर हर हर बम बम बोल उठा जग, पग में कर जोड़ें कराल। हे जटाजूट हठयोगी,डमडम डम सुनकर झूमें कपाल।
सोनरूपा विशाल की यह कविता काफी पसंद की गई, उनकी पँक्तियाँ थी ‘ दर्द का आकलन नहीं होता, इसमें कोई चयन नहीं होता, प्यार में डूबना ही पड़ता है, प्यार में आचमन नहीं होता। इसके अलावा उनकी अगली पँक्तियाँ थी ‘ याद तुम्हारी कर कर के जब, मेरे नयन सजल हो बैठे। मन हो गया भगीरथ जैसा आंसू गंगा जल हो बैठे।
राम भदावर ने सुनाया ‘ बलिदानियों की इस महागाथा में तुम, बलिदान का एक और पन्ना जोड़ दो। या तो समर्पित जन्म करदो देश को, या देश की बातें ही करना छोड़ दो’। डॉ कमलेश शर्मा ने कहा ‘यमुना , नर्मदा और पावन गंगा की धारा अमर रहे। देश के लिए बस जीने का वह चिन्तन प्यारा अमर रहे! राष्ट्र की एकता बनी रहे हे प्रभु!बस यही कामना है! हम रहें या नहीं रहें मगर यह देश हमारा अमर रहे।