कलाकार कहीं ठहरता नहीं बल्कि परस्पर नई उर्जा के साथ नए प्रयोग करता है – सताद्रू
ओपन स्पेस के 22वें एपिसोड में नई दिल्ली से कलाकार सताद्रू सोवन की कला पर आधारित रही
क्राइम रिव्यू
लखनऊ। अस्थाना आर्ट फ़ोरम के ऑनलाइन मंच पर ओपन स्पसेस आर्ट टॉक एंड स्टूडिओं विज़िट के 22वें एपिसोड का लाइव आयोजन रविवार को अपराह्न 3:30 बजे किया गया। इस एपिसोड में आमंत्रित कलाकार के रूप में समकालीन कलाकार सताद्रू सोवन रहे। इनके साथ बातचीत के लिए नई दिल्ली से आर्टिस्ट व क्यूरेटर अक्षत सिन्हा और इस कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में जॉर्जीना मडॉक्स भी शामिल हुईं। कार्यक्रम ज़ूम मीटिंग द्वारा लाइव किया गय।
कार्यक्रम के संयोजक भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया कि सताद्रू सोवन कला जगत में एक जाना माना नाम है। तकरीबन 20 साल से कला क्षेत्र में कार्यरत सताद्रू बहुत सी कला विधाओं में पारंगत हैं। शांति निकेतन के स्नातक वह फुलब्राइट स्कौलर भी हैं। उन्होंने अनेक देशों जैसे अमेरिका, कोरिया, चीन, वियतनाम, रूस में अपनी कला जैसे पेंटिंग, मिक्स्ड मीडिया कार्य, परफोर्मेंस प्रदर्शित की है। दिल्ली के आर्टिस्ट और क्यूरेटर अक्षत सिंहा के साथ कला वार्ता के दौरान सताद्रू ने अपने कला के प्रति रुझान और अपने पिता के सहयोग और रुकावटों के बारे में बताया। कैसे उनके पिता उन्हें अच्छी शिक्षा दिलवाना चाहते थे लेकिन सताद्रू भूगोल, इतिहास और कला छोड़ कर किसी भी विषय से उत्साहित नहीं होते थे। उन्होंने कला को ही चुना और सब चीजों से जूझते हुए न सिर्फ कला में महारत हासिल की, बल्कि देश-विदेश में अपना डंका भी बजाया। जेंडर और पुरूषार्थ उनके कार्य में अधिकाधिक महत्ता रखते हैं। उन्हें नई जगह पर नए लोगों के साथ मिलकर काम करना भी बहुत पसंद है। इससे उनकी कला में भी नई चीजें जुड़ती रहती हैं।
कला समीक्षक व क्यूरेटर ज्योर्जीना मैडौक्स, जो इस वार्ता में विशेष अतिथि थीं, ने बताया कैसे वह सताद्रू के पहले काम से रूबरू हुईं और उनसे मुलाकात बाद में हुई। सताद्रू की कला पर की बार अखबारों में लिखने के बाद जब मुलाकात हुई तो उन्हें वह बहुत ही सहज भाव के लगे। लेकिन उनकी कला व कला के प्रति उनकी सोच बहुत ही नई व रोचक लगी। सताद्रू को की बार उन्होंने अपनी प्रदर्शिनी का हिस्सा भी बनाया। अभी हाल ही में छत्तीसगढ़ में एक क्यूरेटेड प्रोजेक्ट में सताद्रू ने एक परफोर्मेंस आर्टिस्ट की तरह छत्तीसगढ़ के ही छाऊ व ओडिसी नर्तक (परफोर्मिंग आर्टिस्ट) के साथ एक साझा कार्य किया। यह एक एक्सपेरिमेंट ही है जिसे एक अच्छा समकालीन कलाकार बखूबी निभा सकता है।अक्षत सिंहा ने भारतीय कलाकारों की रूस में उनके द्वारा कयूरेटेड प्रदर्शनी में सताद्रू की कार्यों पर मिली प्रतिक्रिया भी साझा करी। कैसे रूसियों को लगा कि यह तो भारतीय कलाकार का काम हो ही नहीं सकता। सताद्रू ने भी बताया कैसे दूसरे देशों में जो भारतीय कला की एक पूर्वस्थापित छवि है उसे बदलना चाहिए। भारतीय समकालीन कला किसी भी रूप में दुनिया के किसी भी और देश की कला से कम नहीं है।
सताद्रू की मानें तो उभरते हुए और ने कलाकारों को दुनिया में अपनी जगह खुद बनानी पड़ेगी और इसके लिए उन्हें अपने तथा अपनी कला पर विश्वास रखना चाहिए। और खूब कार्य करना चाहिए। लगातार करते रहना चाहिए। लाइट व मिक्सड मीडिया का प्रयोग वह अपनी कला में आगे भी करते रहेंगे, ऐसा सताद्रू ने शांतला पलट, जो की इस वार्ता में दर्शक के रूप में जुड़ी थीं, के सवाल के जवाब में कहा। “एक कलाकार कहीं ठहरता नहीं। वह तो परस्पर नई उर्जा के साथ नए प्रयोग करता ही रहता है।
सताद्रू हेक्सीडुक्सीबॉक्स ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रदर्शन मंच के संस्थापक और निदेशक हैं। और दुनिया भर में शांति मार्कर परियोजना में भारत के राजदूत, लॉक अनलॉक प्रदर्शन कला परियोजना के सदस्य भी हैं। वह एक बहु-अनुशासनात्मक समकालीन कलाकार है – बड़े कैनवस को चित्रित करना, अपनी खुद की प्रदर्शन कला बनाना, प्रकाश प्रतिष्ठान बनाना उनके काम में शामिल अनूठी विशेषताओं में से एक है। सताद्रू एक बहु-अनुशासनात्मक कलाकार के रूप में कार्य करते हैं वे कहते हैं कि मेरा काम प्रक्रिया की कई परतों से आता है जिसमें साइकेडेलिक लिंग-प्रदर्शनकारी कथा और दौड़, वैश्विक लोकप्रिय संस्कृति और सोशल नेटवर्किंग और साइबरस्पेस में संबंध रूपों के काल्पनिक दर्शन शामिल हैं। मैं पहचान, लिंग भूमिका, छवि विनियोग और शरीर प्रवास की राजनीति की विविध धारणाओं के साथ खेलता हूं। मैं ऐसे मुद्दों का पता लगाता हूं जो विविध शहरी समुदायों को प्रभावित करते हैं क्योंकि मैं समाज के एक ऐसे वर्ग को दिखाने का प्रयास करता हूं जो बॉक्सिंग या सामान्यीकृत होने से इनकार करता है। मैं मानव मानस में विनोदी अंतर्दृष्टि और उपभोक्तावाद के आसपास की दृश्य संस्कृति में निहित सामूहिक जीवन से बड़ी संस्थाओं को जोड़ता हू। भारत के इतिहास और गतिशील, जैविक देशी संस्कृतियों से ट्रॉप के साथ। मेरा काम भौतिक वातावरण, नई-मीडिया प्रौद्योगिकियों, वीडियो, एनीमेशन, ध्वनि, पद्य रचना और संवादात्मक कथाओं का उपयोग करके संचार और कलात्मक उत्पादन के विभिन्न साधनों को एकीकृत करता है, जो सार्वजनिक जुड़ाव, संवाद और प्रतिबिंब को प्रेरित करते हैं। मेरे जुड़वां मीडिया व्यवहार / प्रदर्शन कला और पेंटिंग हैं।
मेरे लिए, प्रदर्शन / व्यवहार कला, जहां मेरा अपना शरीर, उसकी उपस्थिति और गति, समय-आधारित कार्रवाई और रचनात्मक परिवर्तन के लिए वाहन हैं। भविष्य की ओर बढ़ने के लिए क्षण और चेतना की स्थिति के घोषणापत्र को लागू करने के लिए प्रदर्शन मेरी ताकत है – एक एंटेलेची जो ज्ञान को एक बहुआयामी तरीके से वितरित करता है। ताजा दृश्य चित्रण बनाने के लिए, मैं स्वयं क्षणिक बहु-अनुशासनात्मक आपातकालीन दिमाग से छेड़छाड़ कर रहा हूं। कैनवास, कागज और अन्य मीडिया पर मेरी पेंटिंग एक यात्रा है जहां मैं व्यवहार / प्रदर्शन कला के स्थान और समतलता की फिर से कल्पना करता हूं। मैं इन भौतिक कलाकृतियों के बारे में सोचता हूं, मेरी बड़ी प्रक्रिया के एक और प्रभाव के रूप में, जहां मैं आतिथ्य, कामुकता, संचार और अनुबंध की समस्याग्रस्त मौजूदा धारणाओं का पता लगाने के लिए अन्य प्रकार के पैमाने, इमेजरी और शैली में अपने व्यवहार / प्रदर्शन कला को फिर से परिभाषित करने में सक्षम हूं। व्यवहार / प्रदर्शन कला की अधिक तानाशाही प्रदर्शन समय सीमा से मुक्त, मैं अपनी कल्पना को कामुक और भावनात्मक रूप से गहराई से चार्ज करने का प्रयास करता हूं, ताकि काम दूरी और अंतरंगता को धुंधला कर दे।