क्या उद्धव ठाकरे से सीएम के साथ ही छिन जाएगी शिवसेना प्रमुख की कुर्सी? 40 विधायकों के बगावत के बाद सामने आया बड़ा संकट
क्राइम रिव्यू
महाराष्ट्र की राजनीति में सियासी तूफान उद्धव सरकार के लिए खतरा बनता जा रहा है और अगर जल्द ही इसका समाधान नहीं हुआ तो उद्धव ठाकरे के हाथ से सीएम के साथ ही शिवसेना प्रमुख की कुर्सी चली जाएगी। क्योंकि एकनाथ शिंदे के पास उद्धव ठाकरे से ज्यादा शिवसेना के विधायक हैं। क्या उद्धव ठाकरे को अब शिवसेना से हटाने का अधिकार नहीं है? हालांकि शिवसेना के पास जो 56 विधायक हैं, उनमें से एकनाथ शिंदे के साथ करीब 40 विधायक आज सुबह सूरत से गुवाहाटी पहुंच गए हैं। इन सभी विधायकों को विशेष विमान से गुवाहाटी ले जाया गया है। गुवाहाटी के जिस होटल में ये सभी विधायक ठहरे हुए हैं, वहां उच्च स्तरीय सुरक्षा तैनात की गई है। असम में इस समय बीजेपी की सरकार है और राज्य के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा को केंद्रीय नेतृत्व करीबी और भरोसेमंद मानता है। ऐसे में अब दावा किया जा रहा है कि विधानसभा में शिवसेना के पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे नहीं बल्कि एकनाथ शिंदे हो सकते हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा की सियासी गणित
वर्तमान में शिवसेना 15, राकांपा 53, कांग्रेस 44, अन्य 16, ऐसे केवल 128 विधायकों के पास महाविकास अघाड़ी सरकार बची है। यानी उद्धव ठाकरे सरकार अल्पमत में आ सकती है। वहीं, बीजेपी के पास 106, एकनाथ शिंदे गुट के 41 और अन्य 13 के पास हैं, अब कुल 160 विधायक बीजेपी प्लस में जाएंगे। यानी अगर एकनाथ शिंदे अपने गुट को समर्थन देते हैं तो महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार बना सकती है।
महाराष्ट्र में लागू हो सकता है राष्ट्रपति शासन?
दरअसल एकनाथ शिंदे ने सीएम उद्धव ठाकरे द्वारा भेजे गए शांति दूत मिलिंद नार्वेकर और रवींद्र फाटक को शर्तें दी हैं। इसमें एनसीपी और कांग्रेस से गठबंधन तोड़ना पहली शर्त है। दूसरी शर्त बीजेपी के साथ सरकार बनाने की है, लेकिन उद्धव ठाकरे एकनाथ शिंदे की किसी भी शर्त को मानने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में अगर शिंदे की शिवसेना में वापसी नहीं हुई तो उद्धव ठाकरे सरकार पर संकट गहरा जाएगा और महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन भी लगाया जा सकता है?