गई थी सुलह करने पुलिस ने रेप की तहरीर लेकर दर्ज कराई एक और रिपोर्ट

मड़ियांव पुलिस का कारनामा

-फर्जी केस में युवक व उसके नौकर को जेल भेजने वाले पुलिसकर्मियों की एक और करतूत उजागर
-जेसीपी ने एडीसीपी को सौंपी जांच, पीड़ित महिला के दर्ज बयान
लखनऊअलीगंज थाने से रेस्त्रां संचालक व उसके नौकर को एटीएम लूट का प्रयास, चोरी व पुलिस पार्टी पर फायर करने सहित गैगस्टर एक्ट के फर्जी मामले में जेल भेजने वाले पुलिस कर्मियों की एक और करतूत सामने आई है। मड़ियांव थाने में रेस्त्रां संचालक की पूर्ववर्तीदार महिला से कागज पर पर करवाकर यौन शोषण की फर्जी एफआईआर दर्ज कर दी। इसकी जानकारी महिला को हुई तो उसने शपथ पत्र देकर पुलिस करतूत का खुलासा कर दिया। इस पर पुलिस ने सुलहनामा के पेपर बता कर रेप वनिंग की एक और एफआईआर दर्ज कर दी। जानकारी होने पर महिला ने विरोध किया तो पुलिसिंग देने लगी। इस मामले में पीड़िता ने कोर्ट के साथ ही मुख्यमंत्री और कमिश्नर को भी शपथ पत्र देकर पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की की है। ज्वॉइंट पुलिस कमिश्नर पीयूष मोडिया ने एडीसीपी उत्तरी प्राची सिंह को जांच करने के साथ ही आरोपी दरोगा नेपाल सिंह को तलब किया है।
यह मामला है
मड़ियांव का रहने वाला मनीष मिश्रा अहिबरनपुर में एक पूर्व आईजी के बेटे संतोष की दुकान को किराए से लेकर रेस्त्रां संचालित करता था। संतोष से दुकान खरीदने को लेकर लगभग 24 लाख की लेनदारी का विवाद हुआ था। इसके बाद गल्लामंडी के पूर्व चौकी इंचार्ज नेपाल सिंह ने दरोगा वीरभान सिंह, सिपाही पंकज राय और सिपाही मिथिलेश गिरी के साथ मिलकर रेस्त्रां संचालक और उसके नौकर को फर्जी कोर्ट केस में जेल भेज दिया। सीबीसी हमलों की जांच में पुलिस कर्मियों की करतूत उजागर होने पर एक अप्रैल को सभी के खिलाफ सीबीसी हमलों के दरोगा आजाद सिंह केसरी की तहरीर पर एफआईआर दर्ज हुई है।
पहले दर्ज एफआईआरआर में करना चाहता था सुलह
पीड़ित मनीष के घर मे एक महिला परिवार के साथ किराए से रहता था। महिला के मुताबिक दूरी को लेकर उसके मनीष से विवाद हो गया था। इस पर वह रामलीला मैदान चौकी पर तैनात पूर्व चौकी प्रभारी राहुल तिवारी से मनीष को समझाने का अनुरोध किया था। महिला के मुताबिक वह पढ़ी लिखी नहीं है तो कर कर लेती थी। जिसके बाद पुलिस ने एक कागज पर साइन करवा कर मनीष के खिलाफ 27 जून 2020 को यौन शोषण का फर्जी एफआईआर दर्ज कर ली। पता चलने पर पीड़िता ने रायल से मिलकर मामले को खत्म करने को कहा। आरोप है कि इसके बाद दोषी पुलिस वालों ने उस पर दबाव बनाया कि इस केस को खत्म करने के लिए कोर्ट जाना पड़ेगा। महिला के मुताबिक पुलिस वालों ने एक वकील के माध्यम से उसे कोर्ट में एप्लिकेशन के साथ उठाया दिया। इसके बाद पता चला कि कोर्ट के आदेश पर मनीष के खिलाफ 26 मार्च को रेप, धमकी देने सहित अन्य मामले में गुपचुप तरीके से एक और केस दर्ज कर लिया गया। इस मामले में पीड़िता शुक्रवार को जुऑंट पुलिस कमिश्नर कानून व्यवस्था पीयूष मोडिया से मिलकर मामले से अवगत कराया गया। इसके बाद जेसीपी ने एडीपीसी उत्तरी प्राची सिंह को पूरे प्रकरण की जांच सौंपी है।
दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
पीड़ित मनीष मिश्रा ने कमिश्र को पत्र लिख कर दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। मनीष का कहना है कि इन पुलिस कर्मियों की वजह से उसे जेल में रहना पड़ा था। सीबीसी अनुभवों की जांच में सब कुछ साफ होने के बावजूद दोषी पुलिस कर्मी अपनी ड्यूटी कर रही है, और उसे फंसाने के लिए षडयंत्र रच रहे हैं।
पुलिस बनाना चाहती है ओरिहा तस्कर
मनीष के वकील ने बताया कि महिला की ओर से जो तहरीर कोर्ट में लगाई गई है। वह टाइप की हुई है, लेकिन उसी में स्पष्ट से लिखा गया है कि मनीष अवैध ओवंस की बिक्री भी करता है। वकील का कहना है कि ऐसा करने से यदि आरोपित रेप के मामले में जेल जाती है तो पुलिस ओढ़ा तस्करी के मामले में उसे रिमांड पर ले सकती है।
वर्जन
महिला का थाने पर बयान दर्ज कर लिया गया है, उसका मेडिकल कराने के साथ ही और पूरे प्रकरण को गिद्धता से देखा जा रहा है। प्राची सिंह एडीसीपी उत्तरी

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