गौकशी व तस्करी पर लगाम लगाएगा ‘गौ ऐप’
एकेटीयू के कुलपति व उनकी टीम ने बनाया ऐप, गुजरात में हुआ सफल परीक्षण
क्राइम रिव्यू
विवेक पाण्डेय
लखनऊ। अब बहुत जल्द गौकशी पर लगाम लगाई जा सकेगी। साथ ही अनुपयोगी हो चुके गौवंशों से छुट्टा छोड़ने वाले मालिकों पर शिकंजा कसा जा सकेगा। गौसेवा करने वालों को भी पारदर्शिता मिलेगी। यह सब संभव होने जा रहा है डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.प्रदीप कुमार मिश्र व उनकी टीम द्वारा बनाए गए ‘गौ’ ऐप से। इसका गुजरात में इसका सफल परीक्षण हो चुका है। जल्द ही उत्तर प्रदेश सरकार से अनुमोदन के बाद इसे लांच कर दिया जाएगा।
गाय को उन्नति और समृद्धि का भी प्रतीक माना गया है। इसी बात को सिद्ध किया है डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 प्रदीप कुमार मिश्र ने। उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर गाय आधारित उन्नति का एक वैज्ञानिक मॉडल प्रस्तुत किया है। इस मॉडल का शोध पत्र इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद के प्रतिष्ठित वर्किंग पेपर में प्रकाशित हुआ है। इसमें प्रो0 मिश्र ने गाय से पर्यावरण के फायदे के साथ ही अर्थव्यवस्था का फार्मूला दिया है।
अनुपयोगी गौवंशों को छुट्टा छोड़ने पर लगेगी लगाम
कुलपति प्रो0 प्रदीप कुमार मिश्र के नेतृत्व में उनकी टीम के गौरव केडिया, अमित गर्ग, अपराजिता मिश्रा और कृष्णा ने एक ऐप बनाया है। इस ऐप का एक फायदा ये भी होगा कि लोग अपने पालतू जानवरों को छुट्टा नहीं छोड़ पायेंगे। क्योंकि इस ऐप में पशुओं का पूरा ब्योरा फोटो के साथ डालने के सुविधा होगी। गौवंश की फोटो के साथ ही एक यूनिक नंबर होगा। ऐप में फोटो या यूनिक नंबर डालते ही मालिक के साथ उसकी पूरी डिटेल उपलब्ध हो जाएगी। इससे अनुपयोगी गौवंशों को छुट्टा छोड़ने वालों की पहचान आसानी से हो सकेगी।
गौकशी व तस्करी पर लगाम लगाएगा ऐप
सनातन संस्कृति में गाय की पूजा होती रही है। गाय को लोग मां का दर्जा देते हैं। इसका वर्णन वेदों और पुराणों में भी है। बावजूद बड़े पैमाने पर चोरी छुपे गौकशी व उनकी तस्करी की जा रही है। इसका हिन्दू समाज द्वारा काफी विरोध भी किया जाता है। इस ऐप के माध्यम से गौ तस्करों व गौकशी पर भी लगाम लगाया जा सकेगा। ऐप के जरिये दान दे सकेंगे दानदाता, बनेगी पारदर्शिता
कुलपति के साथ इस शोध में काम करने वाले गौरव केडिया ने बताया कि काफी लोग चाह कर भी गाय सेवा में दान नहीं कर पाते है। उन्हें लगता है कि उनका धन का दुरुपयोग होगा। दानदाता इस ऐप के जरिये दान भी दे सकेंगे। उनका दान सही जगह लग रहा है कि नहीं इसकी भी जानकारी ऐप से ले सकेंगे। इस पहल में एनजीओ को भी जोड़ा जाएगा। दानदाता एनजीओ के जरिये गोशाला या घरों में पल रहे गायों को गोद ले सकेंगे। एनजीओ ही गायों को चारा सहित अन्य चीजें उपलब्ध कराएगी। दानदाता अपने गोद लिये गायों की स्थिति भी ऐप पर देख सकेंगे।
रोजगार की खुलेगी राह
यही नहीं ऐप से कंपनियों को भी जोड़ा जाएगा। जो एनजीओ के माध्यम से गोशालाओं से गोबर और मूत्र लेकर बायोगैस, खाद, अगरबत्ती समेत अन्य चीजें बनाएंगी। इससे गोशालाओं को आर्थिक रूप से भी फायदा होगा। शोध में पता चला है कि दो गौवंशों के गोबर से इतनी बायोगैस उत्पन्न हो सकती है। जिससे चार लोगों के परिवार के लिए एक दिन में तीन बार भोजन बना सकता है। इससे एलपीजी गैस की खपत कम की जा सकेगी
पर्यावरण को होगा फायदा
इस मॉडल के प्रयोग में आने से पर्यावरण को भी फायदा मिलेगा। गोशालाओं से निकलने वाले गोबर और मूत्र से जैविक खाद बनायी जाएगी। इसके अलावा बायोगैस का निर्माण होगा। वहीं, इको फ्रैंडली अगरबत्ती के साथ ही पेड़-पौधों और फसलों पर छिड़काव के लिए दवा भी बनायी जा सकेगी। इसका फायदा पर्यावरण को होगा।