प्रभु से एकाकार होने के लिए केवल अध्यात्म और संत होना ही पर्याप्त नहीं : स्वामी रघुनाथदेसिक जी महाराज
अवध भारती संतान हैदरगढ़ के संयोजन में आयोजित अवधी बघेली यात्रा लखनऊ से अयोध्या पहुंची
क्राइम रिव्यू
लखनऊ/अयोध्या। प्रभु से एकाकार होने के लिए केवल अध्यात्म और संत होना ही पर्याप्त नहीं है ,साहित्य और संस्कृति के जरिए प्रभु के और निकट पहुंचा जा सकता है। प्रभु की उपासना और उन्हें रिझाने के जो प्रमुख माध्यम है, उनमें नृत्य , गीत और नाद प्रमुख है। अवधी सेवी साहित्य के साथ ही धर्म के उन्नयन में बड़ा काम कर रहे है। उक्त उदगार अयोध्या धाम में सरयू निकुंज धाम के जगद्गुरु स्वामी रघुनाथदेसिक जी महाराज ने अवधी सेवियों को सम्मानित करते हुए व्यक्त किए।अवध भारती संतान हैदरगढ़ के संयोजन में आयोजित अवधी बघेली यात्रा आज लखनऊ से अयोध्या पहुंची जिसे लखनऊ में कल्चर दीदी कुसुम वर्मा, वरिष्ठ रचनाकार प्रोफेसर जगन पांडे और डॉक्टर राम बहादुर मिश्र ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इसमें लखनऊ, बाराबंकी, रायबरेली, प्रतापगढ़, उन्नाव, सीतापुर, गोंडा के अलावा नेपाल के भी अवधी सेवी शामिल हुए। जिन्होंने अवधी के उन्नयन और विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।
समारोह में कई रचनाकारों की पुस्तको और अवध ज्योति के नए अंक का लोकार्पण हुआ। समारोह में कवि गोष्ठी और रचनाकारों का सम्मान भी हुआ। इस अवसर पर विशंभर नाथ अवस्थी पप्पू भैया,डॉक्टर राम बहादुर मिश्र,विष्णु कुमार मिश्र, अकबाल बहादुर राही , शिव प्रकाश अग्निहोत्री, आचार्य सूर्य प्रसाद मिश्र निसिहार,अजय प्रधान,हिमांशु श्रीवास्तव,देवेंद्र कश्यप,डॉक्टर नीलम रावत, कुसुम वर्मा, इंद्र बहादुर सिंह इंद्रेश, डॉक्टर विनय दास, प्रोफेसर अर्जुन पांडेय, विक्रम मणि त्रिपाठी, रमाकांत तिवारी, संजय श्रीवास्तव, प्रदीप महाजन, सृजन वर्मा और अशोक सागर विशेष रूप से उपस्थित रहे।
कुसुम वर्मा के लोकगीतों की से महक उठा सरयू निकुंज धाम
कल्चर दीदी कुसुम वर्मा के लोकगीतों की शानदार प्रस्तुति ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कुसुम ने कथा महोत्सव गाई सिया रघुराई.., होरी खेलैं शिवभोला फागुन मा…, सिर धरैं मुकुट खेलैं होरी…, होरी खेलों रघुबीरा अवध मा…व लांगुरिया ऐसे डोलै जइसे लंका मा डोलै हनुमान जैसी लोकगीतों से अयोध्या धाम का सरयू निकुंज धाम महक उठा।