प्रमाणीकरण कार्यक्रम के तहत किसानों की आय बढ़ाने के भी प्रयास किये जायें – दारा सिंह चौहान
41 वन प्रभागो के 4.50 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार कुशल वन प्रबंधन हेतु ‘‘प्रोग्राम फाॅर एन्डोस्र्मेन्ट आफ फाॅरेस्ट सर्टिफिकेशन
क्राइम रिव्यू
लखनऊ। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री दारा सिंह चैहान ने कहा कि प्रदेश के वन विभाग को 41 वन प्रभागों के 4.50 लाख हेक्टेयर वन में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार कुशल वन प्रबंधन हेतु ‘‘प्रोग्राम फाॅर एन्डोस्र्मेन्ट आफ फाॅरेस्ट सर्टिफिकेशन (पीईएफसी) प्रमाण-पत्र प्राप्त हुआ है। इससे वैश्विक स्तर पर उत्तर प्रदेश देश का रोल माडल बन कर सामने आया है। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की प्रसंशा भी की।
श्री चौहान आज यहां मौलश्री प्रेक्षागृह कुकरैल वन क्षेत्र में आयोजित एक दिवसीय वन प्रमाणीकरण कार्यशाला के शुभारम्भ अवसर पर बोल रहे थे।उन्होंने कहा कि प्रमाणीकरण कार्यक्रम के तहत किसानों की आय बढ़ाने के भी प्रयास किये जाएं। प्रमाणीकरण के बाद लोगों में भरोसा बढ़ा है। स्थानीय स्तर पर प्रमाणीकरण के कार्य विशेष प्राथमिकता दी जाय। उन्होंने कहा कि इससे निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन इकोनाॅमी बनाने की दिशा में वन निगम की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।
श्री चौहान ने कहा किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए उनकों वृक्षारोपण के लिए प्रेरित किया जाय। साथ ही किसानों के वृक्षों का प्रमाणीकरण भी कराया जाये। उन्होंने कहा कि प्रमाणीकरण योजना से कारपोरेट, किसान और वन निगम तीनों लाभ मिलेगा, इसके और अधिक प्रभावी बनाने के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार की जाय। इसके अतिरिक्त वनों पर निर्भर जनजातियों के आर्थिक सशक्तीकरण पर भी विशेष बल दिया जाय।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष 30 करोड़ वृक्षारोपण का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर संभव कदम उठाये जायं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में ईको-टूरिज्म के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। प्रदेश में ईको-टूरिज्म की ब्रांडिंग कराई जाय। उन्होंने कहा कि ईको-टूरिज्म की ब्रांडिंग में गाइड का बड़ा रोल होगा। इसलिए इन स्थलों पर प्रशिक्षित गाइड रखने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुनील पाण्डेय ने कहा कि प्रमाणीकरण के चेन से गुजरने के बाद लकड़ी उत्पादों की ज्यादा वैल्यू होगी। उन्होंने कहा कि पीईएफसी प्रमाण पत्र की जानकारी देने एवं सुझाव प्राप्त करने हेतु आयोजित इस कार्यशाल से सभी जनपदीय अधिकारियों को आवश्यकता जानकारियां प्राप्त होंगी। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को सलाह भी दी कि सर्टिफिकेशन के साथ ही वस्तुओं की वैल्यू भी निर्धारित किया जाना चाहिए।
मुख्य वन संरक्षक मुकेश कुमार ने सर्टिफिकेशन के मुख्य नियमों से सभी को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में भी वृक्षारोपण के कार्य का जारी रखा गया। इस वर्ष मिशन 30 करोड़ के तहत प्रदेश में 30 करोड़ वृक्ष रोपित किये जाने है। इसके लिए वन विभाग की नर्सरी में 42 करोड़ पौधे उगाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस कार्य को अंजाम देने में 26 अन्य विभागों की सहभागिता होगी। उन्होंने कहा कि इस साल 121 प्रजातियों के पौधे उगाये जा रहे हैं, इसमें बांस और औषधीय प्रजाति के पौधों को जोड़ा गया है। अवसर पर प्रबंध निदेशक वन निगम अजय कुमार ने प्रमाणीकरण योजना के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला।
कार्यशाला में वन प्रमाणीकरण की निरंतरता को बनाये रखने, सस्टेनबुल ईको-टूरिज्म, वन धन योजना का प्रस्तुतीकरण किया गया। इसके साथ ही वन निगम द्वारा तेन्दू पत्ता उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया गया।