फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी में चित्रकार राहुल राय के पेंटिंग की शीर्षक “द नेचर्स लैप” नाम से प्रदर्शनी का शुभारंभ
वरिष्ठ वास्तुविद सविता अग्रवाल एवं आईपीएस रत्न संजय कटियार (आईपीएस) ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया उद्धाटन
क्राइम रिव्यू
लखनऊ। यदि प्रकृति का आनंद लेना है तो हमे केवल एक दृष्टा बनना होगा तभी हम प्रकृति के वास्तविक अर्थ में आनंद ले सकते हैं। प्रकृति के एक एक कण में सौंदर्य और निर्मलता है। गगन की विशालता,पर्वतों की विशाल ऊंचाई,समुंदर की गंभीरता और नदी को प्रखरता ही हमारे दृश्य को मजबूत बनाता है। मन को विस्तृत बनाने के लिए प्रकृति का ध्यान के लिए एकांत जरूरी है। और शुद्ध वातावरण ही हमारे जीवन को सुंदर और सुव्यवस्थित बना सकता है। इस धरती को इस ब्रह्मांड को सबसे बड़ा कलाकार ईश्वर ने बड़े ही सुव्यवस्थित ढंग से निर्माण किया है। एक रचनात्मक कार्य करने वाले लोग इस प्रकृति का आनंद अपने रचनात्मक दृष्टि से लेते हैं और उसे अपने विचारों के माध्यम से कोरे कैनवस पर उकेरते हैं। कुछ इसी प्रकार चित्रकार ने अपने कलाकृतियों के माध्यम से एक संदेश के साथ साथ अपने उद्देश्य को दृश्यभाषा में बताने और समझाने की कोशिश की है। उक्त जानकारी देते हुए फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी के क्यूरेटर भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया कि लखनऊ स्थित सोमवार को फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी में शीर्षक “द नेचर्स लैप” प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शनी में लखनऊ के चित्रकार राहुल राय के लगभग 39 चित्रों माध्यम ऐक्रेलिक को प्रदर्शित किया गया है।
इस प्रदर्शनी का उद्घाटन फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी में सोमवार को मुख्य अतिथि वरिष्ठ वास्तुविद सविता अग्रवाल ( फाउंडिंग पार्टनर म्यूरलेज) एवं विशिष्ट अतिथि रत्न संजय कटियार (आईपीएस) इंस्पेक्टर जनरल लखनऊ फ्रंटियर सशस्त्र सीमा बल भारत सरकार ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। इस अवसर पर गैलरी की डायरेक्टर नेहा सिंह ने आये हुए सभी गणमान्य व्यक्तियों, कलाकारों का स्वागत एवं आभार व्यक्त किया।चित्रकार राहुल राय ने अपने चित्रों के बारे में बताया कि मैं प्रकृति का प्रेमी हूँ। प्रकृति को करीब से महसूस करता हूँ और फिर उसे अपने अनुभवों को अपनी अभिव्यक्ति के माध्यम से रंग और तूलिका के माध्यम से व्यक्त करने का सार्थक प्रयास करता हूँ। मैं जब चित्रों का सृजन करता हूँ तो कार्य करते करते खो जाता हूँ और उसी एकाकार होने की प्रक्रिया में मेरी रचना पूर्ण होती है। राहुल राय एक सेल्फ थॉट चित्रकार हैं। विभिन्न परिस्थितियों के कारण कला की व्यवस्थित शिक्षा नहीं ली है, लेकिन कलाकारों के समूह में शुरू से रहना और उनके अभिव्यक्ति को समझना और उसे व्यक्त करने की कुशलता ने राहुल को वर्तमान में एक चित्रकार के रूप में पहचान दिला रही है। प्रदर्शनी में प्रदर्शित चित्रों में राहुल ने पर्वतों के अनेकों रूपों को प्रस्तुत किया है। प्रकृति में ऊंची ऊंची पर्वतमालाएं मन को मोह लेती हैं पर्वतों के आकर्षण सदैव अदभुत होता है जो कि विस्मयकारी एवं सौंदर्य से भरपूर होते हैं। पर्वतों के प्राकृतिक रूप से स्थित होना,उनकी उतार चढ़ाव, अलग अलग टेक्सचर ,रंग निश्चित रूप से यह सब पर्वतों की सुंदरता और उनके अलौकिक दृश्यों की छटा को और अधिक बढ़ाते हैं। इस प्रकार पल पल परिवर्तित रूप सौंदर्य पूर्ण, हृदयाकर्षक और उल्लासमय होता है। अनेक दृश्य सौंदर्य सुषमा से ओत प्रोत होता है। सूर्य की किरणें पड़ते ही पहाड़ों पर इंद्रधनुष से रंग जाता है जिसे देखकर दर्शक मचल जाता है। और वहीं चंद्रमा की चाँदनी में पर्वतों की सौंदर्य और भी अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है। चित्रकार इन्ही प्रकृति-नटी के क्षण क्षण बदलती रूप को देखकर आकर्षित होता है और उसे अपने अंतस भाव से प्रकट करता है। जो कि राहुल राय ने ऐसे ही अभिव्यक्ति की है। इनके कैनवस पर प्राकृतिक सौंदर्य का एक विशाल स्वरूप अलग अलग रूपों में अवलोकन किया जा सकता है।
इस अवसर पर पूर्व एम एल सी डॉ एसपी सिंह (संस्थापक महाप्रबंधक लखनऊ पब्लिक स्कूल एंड कॉलेजेज ), निदेशक हर्षित सिंह, अमित सिंह, विजय मिश्रा, इसहाक, संजय , राकेश मौर्या सहित अन्य कला प्रेमी कलाकार लोग उपस्थित रहे। यह प्रदर्शनी 2 नवंबर 2022 तक कला प्रेमियों के लिए अवलोकनार्थ रहेगी।