हनुमान भक्त हैं अफ्रीकी टीम के कप्तान केशव महाराज, आखिर यूपी से क्या है उनका नाता ?
केशव के पिता आत्मानंद भी क्रिकेटर रह चुके हैं। वह घरेलू क्रिकेट में विकेटकीपर थे
क्राइम रिव्यू
लखनऊ। दक्षिण अफ्रीका ने टीम इंडिया के खिलाफ पांच मैचों की टी-20 सीरीज के आखिरी मैच के लिए टीम की कप्तानी स्पिनर केशव महाराज (Keshav Maharaj) को सौंपी थी। केशव महाराज भारतीय मूल के खिलाड़ी हैं, जो दक्षिण अफ्रीका के लिए खेलते हैं और उनके पिता भी क्रिकेटर रह चुके हैं। यह भी संयोग है कि उन्होंने भारत की धरती पर ही अफ्रीका की तरफ से भारत के खिलाफ कप्तानी भी की। हालांकि सीरीज का आखिरी मैच बारिश के कारण बेनतीजा रहा था।
इसी साल जनवरी में दक्षिण अफ्रीका दौरे पर टीम इंडिया को वनडे सीरीज में करारी हार का सामना करना पड़ा था। तब केशव महाराज (Keshav Maharaj) ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए ‘जय श्री राम’ कहा था। इसके बाद से केशव सोशल मीडिया पर छा गए हैं। सोशल मीडिया में उनकी जमकर तारीफ की जा रही थी। जबकि भारतीय क्रिकेटर की आलोचना हो रही थी। क्योंकि भारतीय क्रिकेटर धर्म को लेकर कभी बोलते नहीं है। जबकि मुस्लिम खिलाड़ी क्रिकेट के मैदान में नमाज भी पढ़ते हैं। लेकिन भारतीय हिंदू खिलाड़ियों को जय श्रीराम या फिर धार्मिक शब्दों से परहेज करते हैं।
केशव का सुल्तानपुर से है खास नाता
केशव महाराज (Keshav Maharaj) हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त हैं और वह दक्षिण अफ्रीका में रहते हैं, लेकिन रीति-रिवाजों का पालन पूरी तरह से भारतीय करते हैं। सभी हिंदू भी त्योहार मनाते हैं। केशव महाराज का उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से भी भारत से गहरा नाता है। एक इंटरव्यू में केशव के पिता आत्मानंद महाराज ने बताया था कि उनके पूर्वज सुल्तानपुर के रहने वाले थे। 1874 में उनके पूर्वज अच्छी नौकरी की तलाश में भारत से डरबन आए। उस समय अफ्रीका में बहुत सारे अवसर थे। तब अफ्रीका को अच्छे कुशल श्रमिकों की आवश्यकता थी और भारतीयों को कृषि में अच्छा अनुभव था।
केशव के पिता भी थे क्रिकेटर
केशव महाराज के परिवार में चार सदस्य हैं। केशव के अलावा माता-पिता और एक बहन हैं। बहन की शादी श्रीलंका में हुई है। आत्मानंद ने बताया था कि हम अपने परिवार की पांचवीं या छठी पीढ़ी हैं। उपनाम ‘महाराज’ मेरे पूर्वजों की ओर से एक उपहार है। हम जानते हैं कि भारत में नाम का महत्व क्या है। केशव के पिता आत्मानंद भी क्रिकेटर रह चुके हैं। वह घरेलू क्रिकेट में विकेटकीपर थे। हालांकि, आत्मानंद को कभी भी टेस्ट क्रिकेट खेलने का मौका नहीं मिला, क्योंकि तब अफ्रीका में क्रिकेट बहाल नहीं हुआ था।