श्रद्धा और सत्कार से मना श्री गुरु अंगद देव का प्रकाश पर्व
गुरुद्वारों में शबद- कीर्तन और गुरु साहिब के जीवन पर डाला गया प्रकाश
क्राइम रिव्यू
लखनऊ। राजधानी के नाका और गुरुद्वारा सहित अन्य गुरुद्वारों में आज यानि 12 मई को सिक्खों के दूसरे गुरु साहिब श्री अंगद देव जी का प्रकाश पर्व एवं सरहंद फतहि दिवस मनाया गया। इस अवसर पर गुरुद्वारों में शबद- कीर्तन हुआ और गुरु साहिब के जीवन पर प्रकाश डाला गया। प्रकाश पर्व का आयोजन कोविड प्रोटोकॉल को ध्यान में रखकर किया गया।
गुरुद्वारा, नाका में श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मना प्रकाश पर्व
ऐतिहहासिक गुरूद्वारा नाका हिन्डोला गुरु अंगद देव साहिब का प्रकाश पर्व व सरहंद फतहि दिवस में बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया। हुजूरी रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह जी शबद कीर्तन के गायन कर संगत को निहाल किया।
श्रीगुरु अंगद देव जी के जीवन पर डाला प्रकाश
ज्ञानी सुखदेव सिंह ने बताया कि गुरू अंगद देव जी का जीवन बहुत रहस्यमयी था। इनका पहला नाम भाई लाहिणा था। वह देवी के पुजारी थे एक सिक्ख से श्री गुरू नानक देव जी की वाणी सुनकर मुग्ध हो गये। उनके हृदय में गुरू जी के दर्शनों की लालसा लग गयी। करतारपुर आकर गुरू जी के दर्शन किये और दर्शन करके इतना आनन्द आया कि अपने आप को गुरू जी के हवाले कर दिया। दिन रात सेवा सिमरन में जुटे रहना इनके जीवन का मुख्य उद्देश्य बन गया।
गुरु नानक देव ने ली थी कई बार परीक्षा
श्री गुरू नानक देव जी ने कई बार अंगद देव जी की परीक्षा ली और वे हर बार परीक्षा में सफल होते रहे। इनकी नम्रता एवं सेवा सिमरन को देखते हुए श्री गुरूनानक देव जी ने अपने दोनों पुत्रों को छोड़कर भाई लाहिणा जी को गुरू गद्दी सौंप दी और भाई लाहिणा से गुरू अंगद देव बना दिया। गुरु अंगद देव जी के 62 शबद श्री गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज हैं। गुरूमुखी लिपि की एक वर्णमाला को प्रस्तुत किया। वह लिपि बहुत जल्द लोगों में लोकप्रिय हो गयी।
साहित्य केन्द्रों की स्थापना की
उन्होंने बच्चों की शिक्षा में विशेष रूचि ली। उन्होंने विद्यालय व साहित्य केन्द्रों की स्थापना की। नवयुवकों के लिए उन्होंने मल्ल-अखाड़ा की प्रथा शुरू की।गुरू जी के जीवन से हमको यह प्रेरणा मिलती है कि सेवा व सिमरन करने से मनुष्य बहुत ऊँचा बन जाता है। गुरू जी के दरबार में जहाँ आत्मा की खुराक के लिये नाम भक्ति के लंगर चलते थे वहीं शारीरिक खुराक के लिये भी आये गये अतिथियों के लिये चैबीस घंटे गुरू का लंगर भी चलता था। इसके बाद ज्ञानी जी ने सरहिंद फतहि दिवस पर व्याख्यान दिया।
अध्यक्ष ने दी बधाई
अंत में लखनऊ गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष स. राजेन्द्र सिंह बग्गा ने साहिब श्री गुरू अंगद देव जी के प्रकाश पर्व (जन्मोत्सव) की बधाई देते हुए अपील की कि करोना बीमारी में सरकार द्वारा दिये गये निर्देशों का पालन करें और घरों में ही वाहिगुरु का सिमरन कर इस पर्व को मनाएं। गुरुद्वारा के बाहर हरमिन्दर सिंह टीटू, सतपाल सिंह मीत एवं हरविन्दरपाल सिंह नीटा की देखरेख में दशमेश सेवा सोसाइटी के सदस्यों ने गुरू का लंगर श्रद्धालुओं में वितरित किया।
गुरुद्वारा, यहियागंज में भी हुआ शबद कीर्तन
ऐतिहासिक श्री गुरु तेग बहादुर साहिब गुरुद्वारा , यहियागंज में दीवान की शुरुआत श्री सुखमनी साहिब जी के पाठ से हुई। हजूरी रागी ने शबद कीर्तन किया
हेड ग्रंथि ज्ञानी परमजीत सिंह ने श्री गुरु अंगद देव जी के जीवन पर प्रकाश डाला एवं सरबत के भले के लिए अरदास की।
आयोजन का गया ऑनलाइन प्रसारण
गुरुद्वारा सचिव मनमोहन सिंह हैप्पी ने बताया कि भक्तों की सुविधा को देखते पर्व का आनलाइन प्रसारण भी किया गया। पर्व का आयोजन कोविड प्रोटोकॉल को देखते हुए किया गया। अध्यक्ष डाॅ. गुरुमीत सिंह ने सभी को पर्व की बधाई दी।