श्री गुरु हरिगोबिन्द साहिब जी का भक्तिभाव से मना प्रकाश पर्व, श्रद्धालुओं ने गुरुद्वारों में टेका माथा
क्राइम रिव्यू
लखनऊ। मीरी पीरी के मालिक, बन्दी छोड़ दाता ,साहिब सिखों के छठवें गुरु साहिब श्री गुरु हरिगोबिन्द जी का प्रकाश पर्व 25 जून को भक्तिभाव से मनाया गया। इस अवसर पर गुरुद्वरों में शबद- कीर्तन हुए और गुरु का लंगर बाटा गया। श्रद्धालुओं ने माथा टेका।
गुरुद्वारा, नाका हिंडोला
श्री गुरू सिंह सभा, ऐतिहासिक गुरूद्वारा नाका हिंडोला में में मुख्य ग्रन्थी ज्ञानी सुखदेव सिंह जी श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी के चरणों में मानवता के भले के लिए अरदास की एवं बाबा बन्दा सिंह बहादुर जी के शहीद दिवस पर श्रद्धा सुमन अर्पित किये ।
गुरुजी के जीवन पर डाला प्रकाश
हजूरी रागी भाई राजिन्दर सिंह जी ने अपनी मधुरवाणी में शबद- कीर्तन कर संगत को निहाल कर दिया। वज्ञानी सुखदेव सिंह जी ने मीरी पीरी के मालिक, बन्दी छोड़ दाता साहिब श्री गुरु हरिगोबिन्द साहिब जी के जीवन के बारे में बताया कि गुरुजी का जन्म श्री गुरु अरजन देव जी व माता गंगा जी के घर श्री अमृतसर में हुआ था। श्री गुरु अरजन देव जी की शहीदी के बाद गद्दी पर बैठे . वह दो तलवारें धारण करते थे। एक मीरी की और एक पीरी की. मीरी का मतलब बादशाहत, ताकत, शक्ति, भाव जो लोग दुनिया में जुल्म कर रहे है मैं मीरी की तलवार पहन कर उन्हें जुल्म करने से रोकूं और पीरी का मतलब जो लोग पीर फकीर अधर्मी बनकर पाप कर रहे हैं, मै उनके पाप को प्रकट करुंगा व सच्चे धर्माथियों की रक्षा करुंगा।
अकाल तख्त की सर्जना की
जहाँ श्री गुरु अरजन देव जी ने श्री अमृतसर में हरिमन्दिर साहिब की सर्जना की जो भक्ति का प्रतीक है, वहाँ श्री गुरु हरिगोबिन्द साहिब जी ने ठीक हरिमन्दिर साहिब के सामने अकाल तख्त की सर्जना की जो शक्ति का प्रतीक है।
… इसलिए बंदी छोड़ दाता कहा जाता है
गुरु जी की दिन प्रतिदिन बढ़ती ताकत को देखकर ईर्ष्यालु सहन न कर सके और गुरु जी को ग्वालियर के किले में बन्द कर दिया। जहाँ जहाँगीर के सताये हुए 52 हिन्दू राजा भी कैद थे, जिनका राजपाट जहाँगीर ने अपने कब्जे में कर लिया था, पर कुछ समय बाद जहाँगीर ने गुरु जी को मुक्त करने का आदेश दिया.गुरु जी ने कहा हम अकेले किले से बाहर नहीं जायेंगे. अगर हमें रिहा करना है तो इन 52 हिन्दू राजाओं को भी रिहा करना होगा। जहाँगीर को गुरु जी की शर्त माननी पड़ी। इस तरह गुरु जीे उन 52 हिन्दू राजाओं को लेकर किले से बाहर निकले और उनका राजपाट वापस दिलवाया। तभी से गुरु जी को ‘बन्दी छोड़ दाता’ भी कहा जाता है।
लंगर बाटा गया
लखनऊ गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष सरदार राजेन्द्र सिंह बग्गा पर्व की बधाई दी। सरदार हरमिन्दर सिंह टीटू, स. सतपाल सिंह मीत, स. हरविन्दरपाल सिंह नीटा की देखरेख में कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए मिस्से प्रसादे एवं लस्सी का लंगर वितरित किया गया।
गुरुद्वारा, यहियागंज
ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी यहियागंज में सिखों के 6 वें गुरु श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी का 426 वाँ प्रकाश पर गुरुद्वारा साहब को विशेष प्रकार के फूलों से एवं लाइटों से सजाया गया था। हजूरी रागी गुरमीत सिंह एवं भाई मनप्रीत सिंह व भाई तेजिंदर सिंह एवं भाई जसवीर सिंह लाजपत नगर वालों ने शबद कीर्तन द्वारा संगतो को निहाल किया।
हेड ग्रंथी ज्ञानी परमजीत सिंह श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी के जीवन पर प्रकाश डाला एवं सरबत के भले के लिए अरदास की। इस अवसर पर श्रद्धालुओं को मिस्सी रोटी प्याज हरी चटनी एवं लस्सी का लंगर वितरित किया गया।
गुरुद्वारा अध्यक्ष डॉ .गुरमीत सिंह ने सभी संगतो को गुरु महाराज के प्रकाश पर्व की बधाई दी। गुरुद्वारा सचिव मनमोहन सिंह हैप्पी ने बताया गुरुद्वारा परिसर को पूर्ण रूप से सैनिटाइज किया गया एवं प्रशासन द्वारा बताए गए संपूर्ण नियमों का पालन करने की व्यवस्था की गई थी।