देवशयनी एकादशी आज, चातुर्मास शुरू, अब चार महीने तक नहीं होंगे मांगालिक कार्य
क्राइम रिव्यू
लखनऊ। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी यानि आज 20 जुलाई को देवशयनी एकादशी है। पौराणिक मान्यता है कि इस तिथि से भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। चातुर्मास शुरू हो जाता है। इस चातुर्मास में मांगलिक कार्य नहीं किये जाने चाहिए।
अलीगंज स्थित स्वास्तिक ज्योतिष केन्द्र के ज्योतिषाचार्य एस. एस. नागपाल बताते हैं कि पंचागों के अनुसार आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं। ‘पद्मा एकादशी’ या पद्मनाभा एकादशी’ भी इस एकादशी को कहा जाता है।
योगनिद्रा में चले जाते हैं भगवान विष्णु
उन्होने बताया एकादशी कल यानि 19 जुलाई की रात 9 बजकर 59 मिनट से प्रारम्भ होकर 20 जुलाई यानि आज शाम 7ः17 मिनट तक है। पौराणिक मान्यता है कि इस तिथि से भगवान श्री हरि विष्णु क्षीर-सागर में शयन करने चले जाते है। चार माह भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते है। ऐसा भी माना जाता है कि भगवान विष्णु इस दिन से पाताल में राजा बलि के द्वार पर निवास करके दीपावली के बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को पुनः लौटते हैं।
चार माह बाद पुनः जागेंगे
पंडित जी बताते हैं कि इन चार माह में मांगालिक कार्य नहीं किये जाते है। चार माह बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रबोधिनी एकादशी को योग निद्रा से श्री हरि विष्णु जाग्रत होते है। तब दोबारा से विवाह लगाने शुरू होती है और विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।
पूजन विधि
देवशयनी एकादशी को भगवान् विष्णु के विग्रह को पंचामृत से स्नान कराकर धूप-दीप आदि से पूजन करना चाहिए। तदुपरान्त यथाशक्ति सोना-चाँदी आदि की शय्या के ऊपर बिस्तर बिछाकर और उस पर पीले रंग का रेशमी वस्त्र बिछाकर भगवान् विष्णु को शयन करवाना चाहिए। देवशयनी एकादशी का व्रत करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। सभी बाधाएं दूर होती हैं। धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती है,
एकादशी व्रत 21 जुलाई को प्रातः पूर्ण होगा।
इस साल की विवाह लग्नें
वर्ष 2021 में विवाह मुर्हूत इस प्रकार है :
नवम्बर में 20 ,21,26 ,27,28,29 ,30 तारों में लगाने है।
दिसम्बर माह में 1,2 ,5,7 ,12 व 13 में शुभ विवाह मुहुर्त है।