कारगिल विजय दिवस पर प्रदर्शनी लगाई और आल्हा गायन में शहीद वीरों को किया गया याद
ज्य संग्रहालय में आयोजित प्रदर्शनी में ताम्र और पाषाणकालीन अस्त्र- शस्त्रों से लेकर आधुनिक शस्त्रों तक को प्रदर्शित किया गया
क्राइम रिव्यू
लखनऊ। कारगिल विजय दिवस पर आज यानि 26 जुलाई को राजधानी में आया विविध कार्यक्रमों में शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। उनकी याद में प्रदर्शनी लगाई गई और आल्हा गायन में वीरों को याद किया गया।
- राज्य संग्रहालय में प्रदर्शनीइस अवसर पर राज्य संग्रहालय में आयोजित प्रदर्शनी में ताम्र और पाषाणकालीन अस्त्र- शस्त्रों से लेकर आधुनिक शस्त्रों तक को प्रदर्शित किया गया। प्रदर्शनी का उद्घाटन समारोह कारगिल शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि उ. प्र. होमगार्ड्स के महानिदेशक विजय कुमार और संग्रहालय के निदेशक डाॅ. आनंद कुमार सिंह ने अमर शहीदों को याद करते हुए परमवीर चक्र विजेताओं के चित्रों श्रद्धा- सुमन अर्पित किये।
प्रदर्शनी में प्राचीन और आधुनिक अस्त्र-शस्त्र
प्रदर्शनी में धनुष- बाण, शमशीर पत्ता, जुल्फिकार, खड्ग और खण्डा आदि तलवारों के अलावा कटारों , खुखरी को भी प्रदर्शित किया गया। एक नली और दो नली बंदूकें भी प्रदर्शनी में रखी गई हैं।
लोक जनजाति एवं कला संस्कृति संस्थान
संस्कृति विभाग के लोक जनजाति एवं कला संस्कृति संस्थान की ओर से शहीदों की स्मृति में गौरव गान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पारंपरिक लोक कलाकारों ने आल्हा गायन कर शहीदों की शौर्य गाथा का बखान किया। आल्हा गायन कार्यक्रम के प्रतिभागी दलों में रायबरेली के रामरथ पांडेय, रायबरेली की शीलू राजपूत व अलका बाजपेई और महोबा के शरद अनुरागी ने प्रस्तुति दी।