उप चुनाव: क्या आजमगढ़ और रामपुर सीट फिर जीत पाएगी सपा? डिंपल के जरिए किला बचाने की रणनीति बना रहे हैं अखिलेश यादव
भाजपा की तरफ से राज्यसभा से टिकट कटने के बाद मुख्तार अब्बास नकवी के रामपुर सीट से चुनाव लड़ने के कयास
क्राइम रिव्यू
विवेक पाण्डेय
लख़नऊ। देश की राजनीति में उत्तर प्रदेश की दिशा व दशा दोनों में निर्णायक भूमिका रही है। राजनैतिक पार्टियां एक एक लोकसभा की सीटों को जीतने के लिए सभी समीकरणों को ध्यान में रखकर प्रत्याशियों का चुनाव करती है। देश में कई उपचुनाव ऐसे हुए हैं, जिनसे पूरे देश की राजनीति को प्रभावित किया है। वर्ष 1974 में जबलपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव में शरद यादव और वर्ष 1988 में इलाहाबाद लोकसभा सीट के उपचुनाव में वीपी सिंह की जीत ऐसे ही चुनाव थे। अब ऐसा ही उपचुनाव उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ और रामपुर सीट का होने जा रहा है। समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव और सपा के सीनियर नेता आजम खान के इस्तीफे से खाली हुई इन सीटों पर 23 जून को उप चुनाव होगा। यह उपचुनाव अखिलेश यादव के सियासी कौशल परीक्षा भी साबित होगा। इस चुनाव से यह पता भी चलेगा की बसपा सुप्रीमो मायावती के रामपुर से प्रत्याशी न उतारकर सपा नेता आजम खां को दिए गए ‘वॉक ओवर’ और आजमगढ़ से शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को चुनाव लड़ाने के दांव की काट अखिलेश यादव कैसे करते हैं? और क्या आजमगढ़ और रामपुर सीट फिर जीत पाएगी सपा?
यह सवाल अब यूपी की राजनीति में सक्रिय नेताओं की जुबान पर हैं। विधानसभा सदन में बजट की चर्चाओं के बीच तमाम नेता एक दूसरे से यह सवाल पूछ रहे हैं। इन सवालों के बीच में यूपी में आजमगढ़ और रामपुर संसदीय सीट पर होने वाला उपचुनाव न सिर्फ सपा और बल्कि समूचे देश की राजनीति को प्रभावित करने वाला माना जा रहा है। ये दोनों सीटें सपा के लिए महत्वपूर्ण है। इसके बाद भी अभी तक अखिलेश यादव ने इन सीटों पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के नामों का खुलासा नहीं किया है।
चर्चा यह भी है कि आजमगढ़ सीट से अखिलेश यादव अपनी पत्नी डिंपल यादव को चुनाव लड़ाएंगे अथवा वह यादव परिवार के ही तेज प्रताप को मैदान में उतारेंगे। जबकि रामपुर सीट से आजम खान जिसे कहेंगे उसे सपा का प्रत्याशी घोषित करेगी। अब यह देखने वाली बात होगी कि आजम खान अपने परिवार के किसी सदस्य को चुनाव लड़ाते हैं या किसी अन्य को। सपा नेताओं का कहना है कि सदन खत्म होते ही अखिलेश यादव पार्टी के सीनियर नेता आजम खान से मिलकर कर दोनों सीटों पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर देंगे।
मुख्तार अब्बास नकवी को टिकट दे सकती है बीजेपी
कुछ ऐसी ही तैयारी भाजपा के खेमे में भी हैं। भाजपा की तरफ से राज्यसभा से टिकट कटने के बाद मुख्तार अब्बास नकवी के रामपुर सीट से चुनाव लड़ने की कयास लगाई जा रही है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि रामपुर सीट से नकवी तीन बार किस्मत आजमा चुके हैं। वह वर्ष 1998 में सांसद बने थे। लेकिन 1999 और 2009 में भी चुनाव लड़े पर जीत नहीं सके और वर्ष 2016 में पार्टी ने उन्हें झारखंड से राज्यसभा भेजा। आजमगढ़ से फिर भोजपुरी फिल्मों के स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ को चुनाव लडाने की चर्चा हो रही है। फिलहाल भाजपा ने भी अभी इन दोनों सीट से चुनाव लड़ने वाले पार्टी के प्रत्याशियों के नाम घोषित नहीं किये हैं। लेकिन भाजपा जिस तरह से मुस्लिम वोटों के झुकाव को परखने के लिए समय-समय पर सियासी प्रयोग करती रहती है, उसके आधार पर रामपुर से मुख्तार अब्बास को चुनाव लड़ाए जाने की संभावना अधिक है.
अखिलेश यादव को M-Y समीकरण पर विश्वास
वैसे रामपुर व आजमगढ़ दोनों सीटें मुस्लिम बहुल हैं। इसीलिए भाजपा के ध्रुवीकरण के एजेंडे और सपा के एम-वाई समीकरण की परीक्षा भी इन दोनों सीटों पर होगी। बसपा ने आजमगढ़ में सपा को घेरने की अपनी रणनीति गुड्डू जमाली को चुनाव लडाने का ऐलान कर पहले ही घोषित कर दी है। अब देखना यह है कि अखिलेश यादव इस सीटों पर जीत हासिल करने के लिए भाजपा और बसपा के सियासी दांव पेंच का काट निकाल पाए हैं या नहीं। सपा नेताओं के अनुसार इन दोनों सीटों को सपा की झोली में डालने के लिए अखिलेश यादव आजमगढ़ में कैंप करेंगे और रामपुर में आजम खान को आगे कर चुनाव प्रचार करने वहां जाएंगे।