महाराष्ट्र सरकार संकट : क्या आदित्य ठाकरे के बढ़ते दखल ने एकनाथ शिंदे को किया बगावत को मजबूर
साल 2019 में मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए थे एकनाथ शिंदे
क्राइम रिव्यू
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार मुश्किल में है। सरकार के वरिष्ठ मंत्री एकनाथ शिंदे बागी हो गए हैं। वह अपने करीबी विधायकों के साथ गुजरात के सूरत के होटल में ठहरे हुए हैं। जिसके बाद राज्य में ठाकरे सरकार की मुश्किलें बढ़ गई है। राज्य सरकार शिंदे के साथ संपर्क करने की कोशिश कर रही है। गौरतलब है कि अगर 2019 में शिंदे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने की मंजूरी ठाकरे परिवार ने दी होती तो वह सीएम की कुर्सी पर होते। महाराष्ट्र की राजनीति में एकनाथ शिंदे को ठाकरे परिवार के बाहर सबसे प्रभावशाली शिवसैनिक के तौर पर देखा जाता है।
यही वजह है कि पिछले दिनों ही नारायण राणे ने शनिवार को एक जनसभा में कहा कि शिंदे शिवसेना से थक चुके हैं। उनका काम सिर्फ फाइलों पर हस्ताक्षर करने का रह गया है। जल्द ही वह बीजेपी से जुड़ जाएंगे तो राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। चर्चा थी कि क्या शिवसेना में बगावत होने वाली है और एकनाथ शिंदे इस बगावत का नेतृत्व करेंगे।
40 दिन तक जेल में रहना पड़ा
57 वर्षीय शिंदे महाराष्ट्र के शहरी विकास मंत्री हैं। 1980 के दशक में शाखा प्रमुख के रूप में शिवसेना में शामिल हुए शिंदे ठाणे की कोपरी-पंचपखाड़ी सीट से चार बार विधायक चुने जा चुके हैं। अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने शिवसेना के साथ कई आक्रामक आंदोलनों में हिस्सा लिया, जिसमें महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा आंदोलन के दौरान उन्हें 40 दिनों तक जेल में रहना पड़ा। उनकी छवि एक कट्टर और वफादार शिवसैनिक की रही है।
राणे के बाद शिंदे थे शिवसेना में मजबूत
पार्टी के भीतर एक समय जो रुतबा पहले नारायण राणे का हुआ करता था, वही दर्जा आज शिंदे के पास है। राणे जब शिवसेना में थे, तब उनकी छवि एक दबंग और प्रभावशाली नेता की थी, लेकिन जुलाई 2005 में उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत करने पर उन्हें पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया था।
मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए थे शिंदे
साल 2019 में जब शिवसेना ने बीजेपी से गठबंधन तोड़कर कांग्रेस-एनसीपी के साथ सरकार बनाने का फैसला किया तो तय हुआ कि मुख्यमंत्री शिवसेना से होंगे, जो तीनों में सबसे ज्यादा विधायकों की संख्या वाली पार्टी है। सवाल यह उठता है कि शिवसेना की ओर से मुख्यमंत्री कौन होगा? चुनाव परिणाम के बाद उद्धव ने एकनाथ शिंदे को विधानसभा में विधायक दल का नेता बनाया। उस समय सभी को लगा था कि शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। लेकिन शरद पवार और सोनिया गांधी चाहते थे कि उद्धव सीएम बनें.उद्धव पर उनके परिवार का दबाव था कि वो सीएम पद स्वीकार करें. ऐसे में शिंदे मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए।
बीजेपी को नहीं दिया समर्थन
अक्टूबर 2019 में जब महाराष्ट्र सरकार बनने से पहले राजनीतिक ड्रामा चल रहा था, शिंदे के करीबी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी ने अपने करीबी विधायकों के साथ बीजेपी सरकार को समर्थन देने के लिए उनसे संपर्क किया था। बीजेपी जानती है कि शिंदे का बड़ी संख्या में शिवसेना के विधायकों पर प्रभाव है। शिंदे के बारे में कहा जाता है कि उनके पास पार्टी का खजाना भरने के लिए बाहुबल और कौशल भी है। लेकिन उस समय शिंदे ने बीजेपी की ओर से आ रहे संकेतों को गंभीरता से नहीं लिया था।
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आदित्य ठाकरे के करीबी लोगों का बढ़ा दखल
नारायण राणे ने अपने हालिया भाषण में शिंदे के बारे में जो बातें कही हैं, उन्हें राजनीतिक हलकों में पूरी तरह से निराधार नहीं माना जा रहा है। जिस तरह से उद्धव ठाकरे के बेटे और मंत्री आदित्य ठाकरे के करीबी लोगों का दखल सरकार और पार्टी में बढ़ा है, शिंदे जैसे पुराने नेता इसे सकारात्मक रूप से नहीं ले रहे हैं। कहीं न कहीं उनकी नाराजगी जाहिर की गई है।