13 वर्षीय बेटी ने निभाया बेटे का फर्ज, 9 महीने से मुंह के कैंसर की बीमारी से पीड़ित था मृतक
क्राइम रिव्यू: कहते हैं घर मे जब बेटा नहीं होता तो बेटियां ही बेटों का फर्ज अदा करती है। कभी-कभी जीवन में परिस्थितियां ऐसा करने पर मजबूर कर देती हैं कि जिसके बारे में कभी आपने सोचा ना हो। एक ऐसा ही वाक्या अलीगढ़ दुबे पड़ाव पर देखने को मिला। जहां पिता की मौत होने पर बेटा ना होने के कारण तीनों बेटियों ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। इस दौरान हर व्यक्ति की आंखों में आंसू आ गए थे, पिता लंबे समय से बीमार चल रहे थे।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, दुबे की सराय निवासी 52 वर्षीय राजकुमार पिछले 9 महीने से मुंह के कैंसर की बीमारी से पीड़ित था और लंबे समय से इलाज चल रहा था। घर में रहकर मजदूरी करने वाले राजकुमार का कोई बेटा भी नहीं था। तीन बेटियां थी जिसमें 18 वर्षीय रति, 16 वर्षीय गौरी और 13 वर्षीय चित्रा है। कैंसर की बीमारी होने के बाद राजकुमार का इलाज कराया गया, मगर घर चलाने वाला एक ही व्यक्ति बीमार पड़ा हो तो आर्थिक स्थिति कैसे सुधर सकती है। इस बात का अंदाजा आप इस घटना से बखूबी लगा सकते हैं। जब डॉक्टरों ने इलाज आगे चलाने के लिए पैसों की मांग की तो आर्थिक स्थिति दिन पर दिन कमजोर होती चली गई, इन तमाम परिस्थितियों के चलते राजकुमार के परिवार के लोग उसका इलाज नहीं करा सके।
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बेटी ने निभाया बेटे का फर्ज, पिता की अर्थी को कंधा देकर दी मुखाग्नि
आपको बता दें कि राजकुमार ने कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के कारण अपना दम तोड़ दिया। पड़ोसियों की मदद से पैसा इकट्ठा करने के बाद राजकुमार का अंतिम संस्कार कराया गया। राजकुमार का कोई बेटा ना होने के कारण अंतिम संस्कार में उसके तीनों बेटियों ने चंदरिया श्मशान घाट पर भाग लिया उसकी छोटी बेटी चित्रा ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। पिता का साया सिर से उठ जाने के बाद तीनों बेटियां अनाथ हो गई। जिस समय अंतिम संस्कार हो रहा था उस समय हर व्यक्ति की आंखों में आंसू निकल रहे थे।