समाजसेवी हेमंत कुमार मिश्र को उत्तराखंड विजलेंस के डायरेक्टर ने प्रशस्ति पत्र देकर किया सम्मानित
लविप्रा के पूर्व सचिव व मंडी परिषद के पूर्व अपर निदेशक आईएएस डॉ.रामविलास यादव पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर व उसका साक्ष्य देकर उत्तराखंड विजलेंस की मदद की थी
क्राइम रिव्यू
देहरादून/ लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण के पूर्व सचिव व मंडी परिषद के पूर्व अपर निदेशक आईएएस डॉ.रामविलास यादव पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के साथ ही उत्तराखंड विजलेंस को साक्ष्य देने वाले समाजसेवी हेमंत कुमार मिश्र को उत्तराखंड विजलेंस के डायरेक्टर ने प्रशस्ति पत्र देकर उनका उत्साहवर्धन किया है।
गायत्रीपुरम कुर्सी रोड निवासी व सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत कुमार मिश्र ने डॉ.रामविलास यादव के खिलाफ आय से अधिक सम्पति की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय व उत्तर प्रदेश शासन से की थी। जिस पर विशेष सचिव उप्र शासन ने 23 जुलाई 2018 को खुली जांच सतर्कता अधिष्ठान से कराए जाने के आदेश पारित कर दिया। जांच के दौरान प्रकाश में आए तथ्यों के आधार पर सतर्कता अधिष्ठान देहरादून द्वारा तैयार की गई विस्तृत अंतिम आख्या उत्तराखंड सरकार को भेजी गई। उत्तराखंड सरकार ने 8 अप्रैल 2022 को रामविलास के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत करने की अनुमति प्रदान कर दी। जिसके बाद 19 अप्रैल को अभियोग पंजीकृत कर लिया गया।
योगी सरकार आते ही चले गए थे उत्तराखंड
यूपी में तैनात रहे उत्तराखंड कैडर के आईएएस अधिकारी राम विलास यादव सपा सरकार के काफी करीबी थे। रामविलास पूर्व में सचिव लखनऊ विकास प्राधिकरण और एडिशन डायरेक्टर मंडी परिषद रह चुके हैं। प्रदेश में जब योगी सरकार आई तो उन्होंने अपनी तैनाती उत्तराखंड करा ली थी, लेकिन यूपी सरकार को समाजिक कार्यकर्ता हेमंत मिश्रा से उनकी अनियमितताओं के बारे में जानकारी मिल गई, जिसके बाद उत्तर प्रदेश शासन ने ही उत्तराखंड में आईएएस अधिकारी के खिलाफ जांच कराने के लिए कहा। इस संबंध में उन्होंने पर्याप्त दस्तावेज भी उत्तराखंड सरकार को भेजे। जांच पूरी होने पर अनियमितताएं और आय से करीब 2600 गुना अधिक संपत्ति का मामला सही पाया गया। इसके बाद विजलेंस ने जांच पूरी कर उन्हें साक्ष्य के आधार पर गिरफ्तार कर जेल भेजा है।