लोक गायिका कुसुम वर्मा ने बेल्जियम की धरती पर अवध को किया गौरवान्वित
राजधानी ब्रसेल्स के गोस्सित सभागार में 20 मई को अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव का आयोजन
क्राइम रिव्यू
लखनऊ। बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स के गोस्सित सभागार में 20 मई को अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बेल्जियम में हिन्दी के चर्चित ग़ज़लकार कपिल कुमार व अवधी की लोक गायिका और प्रधानाचार्या जीजीआईसी विकासनगर लखनऊ कुसुम वर्मा और प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ आर बी श्रीवास्तव विशेष अतिथि थे। अन्तरराष्ट्रीय सम्मान की श्रृंखला में मुख्य अतिथि कपिल कुमार और रवींद्र प्रभात के कर कमलों द्वारा अन्तरराष्ट्रीय लोकगायिका कुसुम वर्मा को “परिकल्पना हिन्दी उत्सव सम्मान ” से सम्मानित किया गय।
कार्यक्रम में सांस्कृतिक सन्ध्या में सुप्रसिद्ध लोक गायिका कुसुम वर्मा और बिमल बहुगुणा ने लोकगीतों की प्रस्तुति की। लोकगायिका ने विदेश की धरती पर उपस्थित हिन्दी भाषियों को अपने वक्तव्य से प्रेरित किया कि वे अपने बच्चों को हिन्दी भाषा एवं भारतीय संस्कृति और संस्कार से जोड़े रहें। लोकगायिका कुसुम वर्मा ने कहा कि विदेशों से हमें साफ-सफाई और अनुशासन सीखना चाहिए लेकिन भारतीय संस्कृति की बात ही कुछ और है कि – कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-जहाँ हमारा। मंच तब चरम पहुँच गया जब कुसुम ने विदेशी माथे पर तिलक लगाकर कृष्णा कृष्णा हरे हरे गाया। कार्यक्रम में अखण्ड भारत के अलग अलग प्रांतों से साहित्यकार और कवि उपस्थित रहे। संस्था के प्रमुख डाॅ रवींद्र प्रभात और माला चौबे ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। इस कार्यक्रम में उज्जैन की प्रसिद्ध साहित्यकार डाॅ क्षमा सिसोदिया, दिल्ली से सुभासिनी शर्मा, रेवान्त पत्रिका की सम्पादक डाॅ अनीता श्रीवास्तव, वाराणसी से सचिन मिश्रा, डाॅ चम्पा श्रीवास्तव, कविता, कल्पना आदि उपस्थित रहे। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर ब्रसेल्स के संजय बाली और रेणु बाली भी मौजूद रहे।