दंभ के दुर्ग सारे ढहा दे कोई, इक फसल प्यार की लहलहा दे कोई…
खादी प्रदर्शनी 2023 में साहित्य संजीवनी ने कवियत्री स्वधा रवींद्र उत्कर्षिता के संयोजन में किया विराट कवि सम्मेलन
क्राइम रिव्यू
लखनऊ। खादी ग्रामोद्योग की ओर से इंदिरा नगर ए ब्लाक स्थित कन्वेंशन सेंटर परिसर में आयोजित खादी प्रदर्शनी में 25 दिसंबर को सांस्कृतिक प्राँगण में साहित्य संजीवनी के संयोजन से एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन को नाम दिया गया ‘काव्य गंगोत्री’। अपने नाम को सार्थक करते इस सम्मेलन का संयोजन लखनऊ की कवियत्री स्वधा रवींद्र के द्वारा ओम नीरव की अध्यक्षता में किया गया। कार्यक्रम के संचालन की बागडोर शालिनी सजल ने संभाली।कार्यक्रम का प्रारंभ कविता काव्या सखी ने अपनी सरस्वती वंदना से किया। माँ की वंदना ने सम्पूर्ण वातावरण को भक्तिमय कर दिया और ऐसा प्रतीत हुआ जैसे माँ स्वयं तत्वाधान में उपस्थित होकर सभी को अपना आशीर्वाद प्रदान कर रहीं हो। तत्पश्चात एक एक करके निशा सिंह नवल, निवेदिता निवी, कविता काव्या सखी, शालिनी सजल, सुभाष चंद रसिया, ज्योत्सना सिंह, अर्चना और संयोजिका स्वधा रवींद्र उत्कर्षिता ने अपना अपना काव्यपाठ किया।
निशा सिंह नवल ने बेटियों के नाम संदेश देते हुए कहा-
रौशन है बेटियों से ज़मीं आसमां नवल।
पालो यहाँ तुम इनको हिफ़ाज़त से दोस्तों।।
शालिनी सजल ने अपनी पंक्तियों से पंडाल में बैठे सभी सुधिजनों में देश प्रेम की तरंगें प्रसारित कर दी
‘देशप्रेम की परवाज़ों से प्रेम-तरंगें छोड़ी जायें
हिन्दू-मुस्लिम की दीवारें बहुत खड़ी है तोड़ी जायें।’
कविता काव्या सखी ने
चलो इतिहास पर हम दृष्टि डालें
रुके जो नीर आँखों से बहा लें
कलंकित पृष्ठ था इतिहास का वो
समय था धर्म के परिहास का वो….
पढ़ कर सभी को इतिहास की घटनाओं से जोड़ दिया।
निवेदिता निवी ने भी
सुन जरा ओ राजमहिषी
ऐसा जीवन कैसे जिया होगा!
सच बता ओ कैकेयी
पल-पल गरल पान किया होगा! पढ़ कर मां कैकेई की व्यथा सुनाई।
सुभाष चंद रसिया ने अपने गीतों और से सभी का मन मोह लिया और कहा
रसिया के दोहे:-
नाद वेद तो ब्रह्म है, जाने सकल जहान।
शब्द शब्द को मथ हुए,धरणी पुत्र महान।।
अर्चना ने भी अपने काव्य पाठ के माध्यम से समाज की कई विसंगतियों की बात की और उन्होंने मां के लिए कहा-
घिरें तूफान तो लगता नहीं डर
हमारे साथ तो माँ की दुआ है
कवयित्री स्वधा रवीन्द्र जी ने अपनी ग़ज़ल
किसी के प्यार का मारा नहीं हूं,
समंदर हूं मगर खारा नहीं हूं।।,
पढ़ कर पूरे पंडाल को भाव विभोर कर दिया।
अंत में अध्यक्ष ओम नीरव ने नव वर्ष पर लिखी अपनी गीतिका
दंभ के दुर्ग सारे ढहा दे कोई, इक फसल प्यार की लहलहा दे कोई,
क्यारियां ये दिलों की है प्यासी बहुत, नैन से नेह गंगा बहा दे कोई।।
कविसम्मेलन में कवियों की रचनाओं को सुन महोत्सव घूमने आये लोग भी स्वयं को इस पंडाल तक आने से नहीं रोक सके। सभी ने मंत्रमुग्ध होकर काव्य पाठ का आनंद लिया और हर रचना के बाद पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा। सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रभारी व नृत्यांजलि फाउंडेशन की अध्यक्षा रागिनी श्रीवास्तव ने सभी कवियों का आभार प्रदर्शित करते हुए उन्हें सम्मानित किया।