खादी औऱ ग्रामोद्योग के राज्य स्तरीय प्रदर्शनी खादी में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन

कवि सम्मलेन में कवियों ने प्यार, हास्य समेत कई सामाजिक मुद्दों पर अपनी रचनाओ को सुनाकर बटोरी प्रशंसा

क्राइम रिव्यू
लखनऊ। खादी औऱ ग्रामोद्योग आयोग की ओर से लखनऊ इंदिरा नगर ए ब्लाक, कन्वेंशन सेंटर परिसर में आयोजित राज्य स्तरीय प्रदर्शनी की छठवीं शाम कवियों के नाम रही। नृत्यांजलि फाउंडेशन के सौजन्य से हुए अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में कवियों ने प्यार, हास्य समेत कई सामाजिक मुद्दों पर भी अपनी रचनाओ को सुनाकर सभी से प्रसंशा बटोरी।
कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में खादी औऱ ग्रामोद्योग आयोग उत्तर प्रदेश के राज्य निदेशक डॉ नितेश धवन व विशिष्ट अतिथि के रूप में समाज सेविका व लेखिका ऋचा रॉय मौजूद रहीं। साथ ही साथ कवियों में कुलदीप सिंह, डॉ बलवन्त सिंह, सूर्यप्रकाश सूरज, सिराज खान, डॉ विमलेश चौधरी, मित्र विपुल आदि मौजूद रहे।
कवि सम्मेलन में बलवंत सिंह ने सुनाया-
हमारे ग़म का अंदाज़ा लगाओ I
हमारे घर का बटवारा हुआ I
डॉ नितेश धवन ने ‘जज्बात अपने दर्द के रखना बड़ी हिफाजत से, कमजोरिया ताकत बनने मैं वक्त तो लेती है’ सुनाकर सभी की खूब तालियां पाई। वही डॉ विमलेश चौधरी
ने ‘गुल इश्क के जो लोग खिलाने में पड़े हैं
नादान है बस चोंच लड़ाने में पड़े हैं’ को सुनकर लोग अपनी हंसी नहीं पाए।
सिराज लखनवी ने जहां अपने ‘छोटों को प्यार बड़ों का एहतेराम करता हूँ। उदास चेहरों को हंसाने का काम करता हूँ।’ तो वही मित्र विपुल ने ‘सब नेता मंदिर गए, कोई बचा न शेष, कृपा भला किस पर करें, ब्रम्हा, विष्णु, महेश’ प्रस्तुति रचना से सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। ऋचा रॉय ने ‘यह आवाहन का क्षण है। यह अवगाहन का क्षण है। क्षण है उत्कर्ष उन्नति परिष्कार का। यह परिमार्जन का क्षण है। सूर्यप्रकाश सूरज ने ‘अभी खिंची हुई है एक धनक अभी ये रंग नहीं खोनेवाला अभी उमड़ घुमड़ इस माटी में कोई उम्मीद है बोने वाला…’ की रचनाओं को भी लोगों ने जोरदार तालियों के साथ सराहा।

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