प्रकृति के प्रति संतुलित व्यवहार से ही धारणीय विकास सम्भव : डॉ निलय खरे

नेताजी सुभाष चंद्र बोस राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय अलीगंज में समावेशी विकास और पर्यावरण संरक्षण विषय पर आधारित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न

क्राइम रिव्यू
लखनऊ। नेताजी सुभाष चंद्र बोस राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय अलीगंज में ‘सतत विकास एवं पर्यावरण संरक्षण’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय गोष्ठी का बुधवार को समापन हो गया। दो दिवसीय इस गोष्ठी में सभी विद्वान इस बात पर एकमत दिखे कि पर्यावरण कोई स्थानीय समस्या नहीं है बल्कि सारे विश्व को अपने निजी स्वार्थों को छोड़कर  इससे निबटने के लिए एकजुटता का प्रदर्शन करना होगा। इन दो दिनों में छः तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। जिसमें जलवायु परिवर्तन, पोस्ट कोविड जीवन के साथ ही सतत विकास में इतिहासकारों और साहित्य के योगदान पर भी चर्चा हुई।
समापन सत्र में मुख्य अतिथि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सलाहकार डॉ निलय खरे ने कहा कि पर्यावरण की चिंता सारे समाज का सबसे पुनीत कार्य है। विद्यार्थी को पर्यावरण की सुरक्षा आवश्यक रूप से करना चाहिये। हमारी गतिविधियों से पृथ्वी की सतह को प्रत्येक स्तर पर क्षय का सामना करना पड़ रहा है। आज प्रकृति असामान्य व्यवहार इसलिए कर रही है क्योंकि हमने उसके साथ संतुलन बिठाना बंद कर दिया है। प्लास्टिक का सिंगल यूज़ अत्यंत हानिकारक बन चुका है। अगर हम प्रकृति से अच्छा व्यवहार चाहते हैं तो हमें भी उससे अच्छा व्यवहार करना होगा। विशिष्ट अतिथि सलोन, रायबरेली विधायक अशोक कुमार ने कहा कि बढ़ता प्रदूषण प्रकृति के उपहारों को नष्ट कर रहा है। उन्होंने पेस्टिसायड के बढ़ते प्रयोग पर भी चिंता जताते हुये कहा कि जैविक और प्राकृतिक खेती एक बेहतर विकल्प हो सकती है। विशिष्ट अतिथि विज्ञान और प्रौद्योगिक विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ डीके श्रीवास्तव ने कहा कि गोष्ठी से प्राप्त निष्कर्षों को अध्ययन के पश्चात सरकार तक पहुँचाया जायेगा। प्राचार्य प्रो अनुराधा तिवारी ने गोष्ठी के निष्कर्षों से सहमत होते हुए कहा कि अत्यंत सार्थक चर्चा से निश्चित रूप से देश और समाज को लाभ होगा। नालन्दा विश्वविद्यालय के संस्कृत के विभागाध्यक्ष तथा अधिष्ठता छात्र कल्याण प्रोफेसर विजय कर्ण ने कहा कि हमारी संस्कृति वसुधा ही हमारा परिवार है की है जबकि पाश्चात्य देशों के अनुसार वसुधा एक बाज़ार है की अवधारणा व्याप्त है। उन्होंने कहा कि प्रकृति संरक्षण के लिए हर घर में एक मंगलवाटिका होनी चाहिए।उन्होंने कहा कि पंच पल्लव अर्थात् पीपल बरगद आम नीम पाकड का पौधारोपण करना ही आवश्यक नहीं है बल्कि उनके साथ रक्षा सूत्र बांधकर एक संवाद स्थापित करने की जरुरत है। प्रो सुमिता श्रीवास्तव ने कहा कि पर्यावरण की ज़िम्मेदारी सभी स्तरों पर होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि पौधारोपण करके उनकी सुरक्षा के बारे में नीति निर्माताओं को नये सिरे से सोचने की आवश्यकता है। इस गोष्ठी में पोस्टर प्रतियोगिता भी आयोजित की गई जिसमें प्रथम पुरस्कार लखनऊ विवि की आनंदिका सूर्यवंशी, द्वितीय रीता सिंह वीएसएनवी महाविद्यालय तथा नेताजी सुभाष चंद्र बोस महाविद्यालय की छात्रा पल्लवी पाण्डे को तृतीय स्थान मिला।

 

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