फूलों से अगरबत्ती बनाने वाले अंकित ने 120 महिलाओं को दिया रोजगार
-कानपुर के अंकित अग्रवाल मंदिरों के फूलों से बना रहे अगरबत्तियां
– फूलों से बने फ्लेदर को पीएम ने सराहा
पंकज द्विवेदी, लखनऊ
इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में चल रही ब्रेकिंग सेरेमनी प्रदर्शनी का रविवार को समापन कर दिया गया। यहां कानपुर के अंकित अग्रवाल द्वारा मंदिर के फूलों से तैयार करवाई जा रही सुगंधित अगरबत्तियां और धूपबत्ती और फ्लेदर का स्टॉल लगाया गया था। जिसे आम नागरिकों ने काफी पसंद किया। अंकित के सहयोगी आयुष अग्निहोत्री ने बताया कि प्रदर्शनी के पहले दिन फूलों से बने फ्लेदर को प्रधानमंत्री ने काफी सराहा है। यह फ्लेदर एक हिसाब से चमड़ा जैसा ही है। जिसे लेदर की जगह इस्तेमाल किया जा सकता है। अंकित ने फूल डॉट को कंपनी की शुरुआत वर्ष 2017 में की थी। अब कानपुर और बनारस में उनकी यूनिट चल रही है।
गंगा के किनारे मिला आइडिया
लीड प्रॉडक्ट डेवलपर आयुष अग्निहोत्री ने बताया कि फाउंडर अंकित अग्रवाल एक दिन अपने एक विदेशी दोस्त के साथ गंगा किनारे बैठे थे। उस दिन मकर संक्रांति थी। विदेशी दोस्त ने गंगा के मटमैले पानी में सैकड़ों लोगों को नहाते देखा तो परेशान हो गया। पूछा- लोग इतने गंदे पानी में क्यों नहा रहे हैं? इसे साफ क्यों नहीं करते? सरकार और सिस्टम पर दोष लगाकर अंकित बात टालने लगे। विदेशी दोस्त ने कहा तुम खुद क्यों नहीं कुछ करते? इसी वक्त चढ़ावे के फूलों से लदा एक टेम्पो आकर रुका और अपना सारा कचरा गंगा जी में उड़ेल दिया। उसी वक्त अंकित के दिमाग में फूल स्टार्टअप का विचार आया।
तेरा ही तुझको अर्पण
अंकित ने बताया कि फूल का आइडिया आने के बाद उन्होंने रिसर्च करनी शुरू की। करीब दो महीने में उन्हें समझ आ गया कि मंदिरों से जो फूल निकलता है उसका कोई समाधान नहीं है। कुछ लोग खाद वगैरह बनाते हैं, लेकिन उससे कोई खास कमाई नहीं होती।
इसके बाद सबसे बड़ी समस्या थी मंदिर में जाकर लोगों को उन्हें फूल देने के लिए राजी करना। उन्होंने पुजारी व अन्य लोगों को बताया कि हम ‘तेरा तुझको अर्पण’ प्रथा को आगे बढ़ा रहे हैं। यानी हम मंदिरों से फूल लेकर अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाते हैं जो भगवान को ही अर्पित होता है। लोगों की आस्था के साथ कोई खिलवाड़ नहीं किया जा रहा। जिसके बाद उन्हें फूल मिलना शुरू हो गए। अंकित के मुताबिक उन्होंने इसकी शुरुआत 2 किलो फूल और 72 हजार रुपए से की थी। उन्होंने कानपुर में 120 महिलाओं को इस रोजगार से जोड़ा है। इसके अलावा एक यूनिट बनारस में भी काम कर रही है, जहां काशी विश्ववनाथ मंदिर से फूलों को लिया जाता है।
आखिरी दिन लोगों का उमड़ा हुजूम, हाथ लगी मायूसी
ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में रविवार को छुट्टी का दिन होने के चलते काफी संख्या में लोग पहुंचे। यहां कानपुर के लेदर प्रॉडक्ट, चित्रकूट के लकड़ी के खिलौने, फिरोजाबाद के ग्लास प्रॉडक्ट, सिल्क की साड़ियां और जरी जरदोजी के प्रॉडक्ट्स ही लोगों के लिए बचे थे, जबकि ज्यादातर स्टॉल शनिवार को ही खाली हो चुके थे। इसकी वजह से लोगों में मायूसी दिखी।