नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के माध्यम से जल संरक्षण से लेकर विज्ञान के चमत्कार तक का जिक्र अपने कार्यक्रम में किया। यह उनका 74वां संबोधन था। अपने रेडियो कार्यक्रम में पी एम मोदी ने देश की जनता को संबोधित करते हुए पानी के महत्व पर जोर दिया। पीएम मोदी ने कहा कि कल माघ पूर्णिमा का पर्व था, माघ का महीना विशेष रूप से नदियों, सरोवरों और जलस्त्रोतों से जुड़ा हुआ माना जाता है. उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्रों में कहा गया है, “माघे निमग्ना: सलिले सुशीते, विमुक्तपापा: त्रिदिवम् प्रयान्ति अर्थात माघ महीने में किसी भी पवित्र जलाशय में स्नान को पवित्र माना जाता है। दुनिया के हर समाज में नदी के साथ जुड़ी हुई कोई न कोई परम्परा होती है। नदी तट पर अनेक सभ्यताएं भी विकसित हुई हैं। हमारी संस्कृति क्योंकि हजारों वर्ष पुरानी है, इसलिए, इसका विस्तार हमारे यहां और ज्यादा मिलता है। उन्होंने कहा कि इस बार हरिद्वार में कुंभ भी हो रहा है। जल हमारे लिए जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी है।
पीएम मोदी ने पानी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पानी एक तरह से पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। कहा जाता है पारस के स्पर्श से लोहा, सोने में परिवर्तित हो जाता है। वैसे ही पानी का स्पर्श जीवन के लिए जरूरी है। इसलिए पानी के संरक्षण के लिए हमें अभी से ही प्रयास शुरू कर देने चाहिए। उन्होंने बताया कि अब से कुछ दिन बाद जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जल शक्ति अभियान ‘कैच द रेन’ शुरू किया जा रहा है।
संत रविदास जी का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि माघ महीने और इसके आध्यात्मिक सामाजिक महत्त्व की चर्चा संत रविदास जी के नाम के बिना पूरी नहीं होती। रविदास जी कहते थें- करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस। कर्म मानुष का धम्र है, सत् भाखै रविदास। अर्थात हमें निरंतर अपना कर्म करते रहना चाहिए, फिर फल तो मिलेगा ही मिलेगा, कर्म से सिद्धि तो होती ही होती है।
पीएम मोदी ने कहा कि हम अपने सपनों के लिए किसी दूसरे पर निर्भर रहें, ये बिलकुल ठीक नहीं है। हमारे युवाओँ को कोई भी काम करने के लिए खुद को पुराने तरीकों में बांधना नहीं चाहिए। अपने जीवन को खुद ही तय करिए। अपने तौर तरीके भी खुद बनाइए और अपने लक्ष्य भी खुद तय करिए। अगर आपका विवेक, आपका आत्मविश्वास मजबूत है तो आपको दुनिया में किसी भी चीज से डरने की जरूरत नहं है।
पीएम ने कहा कि आज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस है। आज का दिन भारत के महान वैज्ञानिक, डॉक्टर सीवी रमन जी द्वारा की गई ‘रमन इफेक्ट’ खोज को समर्पित है।
पीएम मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान’ में साइंस की शक्ति का बहुत बड़ा योगदान है। आत्मनिर्भर का मतलब अपनी किस्मत का फैसला खुद करना। जब प्रत्येक देशवासी गर्व करता है, प्रत्येक देशवासी जुड़ता है, तो आत्मनिर्भर भारत सिर्फ एक आर्थिक अभियान न रहकर एक राष्ट्रीय भावना बन जाता है।
उन्होंने यह भी कहा कि हम जैसे दुनिया के दूसरे वैज्ञानिकों के बारे में जानते हैं, वैसे ही हमें भारत के वैज्ञानिकों के बारे में भी जानना चाहिए।
पीएम मोदी ने तमिल भाषा से संबंध में कहा कि यह एक ऐसी सुंदर भाषा है, जो दुनिया भर में लोकप्रिय है। दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल सीखने के लिए बहुत प्रयास नहीं कर पाया, मैं तमिल नहीं सीख पाया। मैंने इस सवाल पर विचार किया और खुद से कहा मेरी एक कमी ये रही कि मैं दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा– तमिल सीखने के लिए बहुत प्रयास नहीं कर पाया, मैं तमिल नहीं सीख पाया।
कुछ दिन पहले हैदराबाद की अपर्णा रेड्डी जी ने मुझसे ऐसा ही एक सवाल पूछा। उन्होंने कहा कि– आप इतने साल से पीएम हैं, इतने साल सीएम रहे, क्या आपको कभी लगता है कि कुछ कमी रह गई। अपर्णा जी का सवाल बहुत सहज है लेकिन उतना ही मुश्किल भी।
पीएम मोदी ने कहा कि दिल्ली में 26 जनवरी को तिरंगे का अपमान देख देश बहुत दुखी हुआ। हमें आने वाले समय को नई आशा और नवीनता से भरना है। इस बार 26 जनवरी की परेड में भारतीय वायुसेना की दो महिला ऑफिसर ने नया इतिहास रच दिया। क्षेत्र कोई भी हो, देश की महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। तो वहीं उन्होंने ये भी कहा था कि इस महीने, क्रिकेट पिच से भी बहुत अच्छी खबर मिली। हमारी क्रिकेट टीम ने शुरुआती दिक्कतों के बाद, शानदार वापसी करते हुए ऑस्ट्रेलिया में सीरीज जीती। हमारे खिलाड़ियों का टीम वर्क प्रेरित करने वाला है।
आपको बता दें कि 3 अक्टूबर 2014 को पीएम मोदी के ‘मन की बात’ प्रोग्राम की शुरूआत हुई थी। तब से लगातार इसके प्रसारण का सिलसिला जारी है। महीने के आखिरी रविवार को पीएम मोदी जनता से रेडियो के जरिए अपने ‘मन की बात’ करते हैं। ये विशेष कार्यक्रम 18 क्षेत्रीय भाषाओं और 33 बोलियों में भी प्रसारित किया जाता है। हाल ही में RTI में खुलासा हुआ था कि इस कार्यक्रम पर 7.29 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जबकि इससे ऑल इंडिया रेडियो को 30.28 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ है।